
दुर्ग- शहर के सामान्य नागरिक गण विकास कार्य गति न पकड़ने से दुखी हैं। जनप्रतिनिधियों से उनकी अपेक्षाएं पूरी नहीं हो रही है। इनका कहना है, दलगत भावना से ऊपर उठकर विकास कार्य किया जाए । दुर्ग शहर शुरुआत से ही छत्तीसगढ़ की राजनीति का केंद्र रहा है । लेकिन जिस तरह से दुर्ग शहर का विकास होना चाहिए वैसा नही हुआ। कुछ घोषणाएं सिर्फ कागजो मे रह गयी, जिसे अमल में नही लाया गया। जनसंख्या क्षेत्रफल के हिसाब से दुर्ग भिलाई (twincity) प्रदेश का दूसरा बड़ा शहर है । लेकिन विकास के नाम पर बिलासपुर, राजनंदगांव, जगदलपुर जैसे शहरों से पिछड़ रहा है। विकास के नाम पर सिर्फ रायपुर और नया रायपुर शहर दिखता है।
बढ़ती जनसंख्या के हिसाब से यहाँ चौडी सड़के नही। नयी सड़के बनाने और सड़को को चौडा करना जरूरी है।
इंदिरा मार्केट में हमेशा भीड़ रहती है । जबकि अब यहां एक सुव्यवस्थित मार्केट होना चाहिए। ट्रैफिक की समस्या बढ़ते जा रही है। सर्वप्रथम पुलगाव से जेल तिराहा तक रोड फोरलेन बनाकर डिवाइडर बनानी चाहिए।
बसों और यात्रियों की संख्या के हिसाब से बस स्टैंड बहुत छोटा है। पिछली सरकारों द्वारा नया बस स्टैंड बनाने की घोषणा अमल में नही लाया गया।
शहर के रविशंकर स्टेडियम की जर्जर हालत देखने के बाद भी कोई कदम नही उठाते है।
खिलाडियों के लिए रविशंकर स्टेडियम को राष्ट्रीय स्तर का बनाना चाहिए।
रेल यात्रियों के लिहाज से प्रदेश मे दूसरे/तीसरे स्थान पर रहने वाला शहर मे कुछ ट्रेन का स्टापेज अभी भी नही है। जैसे भुवनेश्वर- लोक मान्य तिलक, कर्म भूमि एक्स्प्रेस, दुरंतो एक्स्प्रेस, पूरी- लोक मान्य तिलक एक्स्प्रेस।
पर्यटन और मनोरंजन के लिहाज़ से भी इस शहर मे कुछ नहीं है। शहर का एकमात्र पिकनिक स्पॉट ठगडा बांध अनैतिक गतिविधियों का अड्डा बन गया है। रात में जुआ, शराब, लड़कीबाजी होता है। ठगड़ा बांध के सुरक्षा कर्मी नशे में रहते हैं और लोगो से लूटपाट भी करते हैं, इस तरह की चर्चाए शहर में होने लगी है।
शिवनाथ नदी पर बनने वाला रिवर फ्रंट भी कागजो मे सिमट गया। लक्ष्मण झूला की घोषणा पर भी कोई काम नहीं हुआ। स्वास्थ्य सुविधाओ के लिहाज से प्रथम स्थान पर रहने वाला जिला अस्प्ताल भी छोटा पड़ने लगा है। शासकीय मेडिकल कॉलेज भी नाम मात्र का है । उक्त बयान शहर के नागरिक एवम सामाजिक कार्यकर्ता राजेश उक्के ने कहा है।