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केदारनाथ मंदिर के कपाट खुले, 6 महीने तक भक्त कर पाएंगे बाबा के दर्शन !

केदारनाथ धाम के कपाट आज 2 मई को खोल दिए गए हैं. भक्तों को इसका बेसब्री से इंतजार रहता है. मंदिर के पट खुलने के बाद आने वाले 6 माह तक भक्त बाबा के दर्शन कर पाएंगे.

केदारनाथ –

केदारनाथ मंदिर उत्तराखंड में चार धाम और पंच केदार का एक हिस्सा है और भारत में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है. मान्यता है इस ज्योतिर्लिंग में दर्शन करने मात्र से सारे दुख तकलीफ दूर हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है.

 

हर साल केदारनाथ धाम के कपाट शीत ऋतु में 6 महीने के लिए बंद कर दिए जाते हैं और फिर वैशाख के महीने में अक्षय तृतीया के बाद केदानाथ के कपाट खुलते हैं. इस साल केदारनाथ धाम के पट कब खुल रहे हैं, आइए जानते हैं किस मुहूर्त में श्रद्धालुओं को होंगे दर्शन, कैसे होती है पूजा, इस ज्योतिर्लिंग से जुड़ी खास बातें.

 

केदारनाथ धाम के कपाट कब खुलेंगे ?

 

केदारनाथ मंदिर उत्तराखंड के रूद्रप्रयाग जिले में है. शीत ऋतु ये मंदिर बंद रहता है और ग्रीष्म ऋतु के समय भक्तों के लिए खोला जाता है. इस साल केदारनाथ धाम के कपाट 2 मई 2025 को खुलेंगे.

 

ज्योति रूप में विराजमान शिव

 

ज्योतिर्लिंग का अर्थ है भगवान शिव का ज्योति के रूप में प्रकट होना. शिव जी के बारह ज्योतिर्लिंग हैं, मान्यता है कि शिव जी यहां ज्योति स्वरूप में विराजमान हैं, इस वजह से इन 12 धामों को ज्योतिर्लिंग कहा जाता है.

 

केदारनाथ की महीमा

 

हिंदू धर्म के और महादेव की भक्तों की लिए यह मंदिर विशेष आस्था का केंद्र है.यहां जाना बहुत लोगों का सपना होता है. कहते हैं जो एक बार केदारनाथ में दर्शन कर लेता है वह जन्म-मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है. केदारनाथ मंदिर में चारों और चार बड़ी आकृति के स्तंभ विराजमान है. इन स्तंभों को चार वेदों का प्रतिनिधि माना जाता है. मान्यता है की इस ज्योतिर्लिंग के स्थान पर भगवान विष्णु के अवतार माने जाने वाले नर नारायण ऋषि तपस्या किया करते थे.

यहां भगवान शिवलिंग की पूजा विग्रह रूप में की जाती है जो बैल की पीठ जैसे त्रिकोणाकार रूप में है. शिवलिंग का यह रहस्‍य पांडवों से जुड़ा हुआ है.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि The Samachaar किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

Navin Dilliwar

Editor, thesamachaar.in

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