क्या सरकारीकर्मियों से बेवफाई पड़ गयी कांग्रेस को छत्तीसगढ़ में भारी ….
दुर्ग। कांग्रेस की पराजय के पीछे सरकारी महाकों के नियमित और अनियमित कर्मचारियों का बड़ा हाथ सामने आया है।सरकारी क्षेत्र के अधिकांश कर्मचारी भूपेश सरकार से नाराज थे।
काग्रेस पार्टी द्वारा घोषणा पत्र में कर्मचारियो से जो वायदे किए गए उस पर अमल नही किया गया। कर्मचारियों के बीच लगातार समय पर महंगाई भत्ता नहीं मिलना, विलंब से महंगाई भत्ता देना जिसके एरियर्स राशि को शून्य कर देना, पदोन्नति क्रमोन्नति नहीं हो पाना संविदा और अनियमित कर्मचारियों का नियमितिकरण नहीं हो पाना, उसके साथ ही जब भी कर्मचारी संगठन, मंत्री या अधिकारियों से मिलते थे तो बातों की अनसुनी होती थी और दिए गए समस्याओं या ज्ञापन पर कोई भी कार्यवाही भी नहीं होती ।
इस सरकार के कई बड़े अधिकारी भ्रष्टाचार में संलिप्त होकर कर्मचारी संगठनों से अच्छा व्यवहार नहीं करते थे जिसकी जानकारी सरकार को भली भांति होने पर भी किसी प्रकार का सुधार नहीं किया जा रहा था।खासकर शिक्षको के मुद्दे पर पदोन्नती क्रमोन्नति ट्रांसफर पोस्टिंग,संशोधन आदि मुद्दों पर शिक्षक लगातार परेशान रहे जिससे बड़ी संख्या में शिक्षको को न्याय की आस में हाईकोर्ट का शरण लेना पड़ा।
उच्च पदों पर आसीन इन्ही अधिकारियों की कर्मचारी विरोधी नीतियों ने कर्मचारियों के मन मे कांग्रेस सरकार के प्रति कड़वाहट भर दी।छत्तीसगढ़ एक छोटा राज्य है और यहां पर एक या दो परसेंट के मतांतर से सरकार बनती बिगड़ती है। भूपेश सरकार ने कर्मचारियों के मनोभाव की कोई परवाह नहीं की। सहायक शिक्षकों की मांगो पर प्रतिक्रिया तक नही दिखाया। जबकि सरकार में आने के पहले उन्ही भूपेश बघेल ने कहा था कि सहायक शिक्षकों के साथ अन्याय हुआ है और सरकार में आने पर उसे दूर करेंगे।
बहरहाल, राज्य के चार लाख नियमित व 7 लाख अनियमित समेत कुल 11 लाख कर्मचारियों का एकतरफा वोट सरकार के खिलाफ गया।