ट्रैक्टर ने बच्चे को रौंदा : परिजनों का फूटा गुस्सा, शव उठाने से किया इंकार, अवैध रूप से हो रहा रेत परिवहन
बलौदाबाजार- छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले में अवैध रूप से रेत परिवहन करते ट्रैक्टर ने बच्चे को रौंद दिया। जिससे मौके पर ही उसकी की मौत हो गई। घटना के बाद से परिजन और ग्रामीण काफी आक्रोश हो गए हैं। परिजनों का कहना है कि जब तक मुआवजा नहीं मिलेगा तब तक शव को नहीं उठाया जाएगा। साथ ही उन्होंने अवैध तरीके से रेत खनन को बंद कराने की मांग की है।
दरअसल यह पूरी घटना पलारी विकासखंड के ग्राम पंचायत खैरी की है। अवैध खनन के कारण 8 साल के मासूम को ट्रैक्टर ने रौंद दिया। जिससे मौके पर ही बच्चे की मौत हो गई। जिसके बाद से प्रशासन के ऊपर ग्रामीणों का गुस्सा फूट गया। उचित कार्रवाई करने और मुआवजे की मांग को लेकर गांव में चक्का जाम कर दिया। पहले तो ग्रामीणों ने शव को लेने से मना कर दिया था लेकिन प्रशासन की समझाइश के बाद परिजन मान गए हैं। परिजनों की मांग है कि, उन्हें 50 लाख रुपए की मुआवजा राशि दी जाए।
ग्रामीणों में आक्रोश
इस घटना के बाद से ग्रामीण और परिजन आक्रोशित हैं। वहीं आनन फानन में प्रशासनिक अधिकारियों ने ग्रामीणों को समझाइश दी और कार्रवाई करने की सहमति दी। वहीं मुआवजा मिलने के आश्वासन के बाद ही ग्रामीणों ने शव को उठाकर ले जाने की मंजूरी दी। मौके पर पुलिस विभाग के आलाधिकारी सहित राजस्व विभाग के तहसीलदार ,खनिज विभाग के जिला निरीक्षक भूपेंद्र भगत और पंचायत सहित आसपास के जन प्रतिनिधि उपस्थित थे।
महीनों से चल रहा अवैध रेत परिवहन
गांव में महीनों से अवैध रेत खनन का काम चल रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि गांव से 5 किमी. दूर ग्राम मुड़ियाडीह में महानदी से रोज सैंकड़ों गाड़ियां अवैध रेत लेकर गांव की सकरी गलियों से निकलती है। इसकी सूचना कई बार प्रशासन को दी गई, लेकिन इसके बावजूद खनिज विभाग राजस्व विभाग के अधिकारी आते है और देखकर चले जाते है। ग्रामीणों ने तो यह भी आरोप लगाया कि अवैध खनन पर विभाग के कुछ अधिकारी गाड़ी वालों से पैसा लेकर छोड़ देते हैं।
अवैध खनन की प्रशासन को सुध नहीं
इतने दिनों से अवैध उत्खनन होने के बावजूद प्रशासन क्यों आंख मूंदे बैठे रहा। कुछ ग्रामीणों ने बताया कि इसमें वन विभाग की जिम्मेदारी भी बनती है। रेत तस्कर ग्राम अमेठी से मुडियाडीह तक जंगल के अंदर पेड़ काटकर 1 किलोमीटर लंबा रास्ता बना लिए है। उत्खनन महीनों से चल रहा है इसके बाद भी वन विभाग को इसकी जानकारी ना होना विभाग पर सवालिया निशान खड़े करता है। इसमें वन विभाग और खनिज विभाग दोनों जिम्मेदार है।