छत्तीसगढ़

पति-पत्नी के झगड़े में रेलवे को 3 करोड़ का नुकसान, हाई कोर्ट पहुंचा मामला.

बिलासपुर में पति-पत्नी के झगड़े ने रेलवे को 3 करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा. इस नुकसान के कारण रेलवे ने स्टेशन मास्टर पति को निलंबित कर दिया. मामला जब कोर्ट में पहुंचा तो पता चला पत्नी लगातार अपने पति को प्रताड़ित कर रही है.

डेस्क – बिलासपुर में पति-पत्नी के झगड़े ने रेलवे को 3 करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा. इस नुकसान के कारण रेलवे ने स्टेशन मास्टर पति को निलंबित कर दिया. मामला जब कोर्ट में पहुंचा तो पता चला पत्नी लगातार अपने पति को प्रताड़ित कर रही है. लिहाजा कोर्ट ने दोनों के तलाक को मंजूरी दे दी. सबसे बड़ी बात यह है कि स्टेशन मास्टर के ओके शब्द को सुनकर रेलवे के बाकी कर्मचारियों ने ट्रेन को नक्सलियों के लिए संवेदनशील जगहों पर जाने की अनुमति दे दी जिसके कारण हजारों मुसाफिरों की जान भी खतरे में पड़ गई.

पति-पत्नी के झगड़े में रेलवे को 3 करोड़ का नुकसान

याचिकाकर्ता पति विशाखापत्तनम का निवासी और रेलवे में स्टेशन मास्टर है. स्टेशन मास्टर का विवाह 12 अक्टूबर 2011 को चरोदा भिलाई निवासी युवती से हिन्दू रीति रिवाज से हुआ था. 14 अक्टूबर 2011 को पति ने विशाखापटनम में अपने सगे संबंधियों को रिसेप्शन समारोह पूर्वक रिसेप्शन भी दिया. इसमें नव व्याहता पत्नी बहुत विचलित थी और खुश नहीं थी. रात में उसने पति को बताया कि उसका इंजीनियरिंग कॉलेज के ग्रंथपाल के साथ प्रेम संबंध है, वह उसके साथ कई बार शारीरिक संबंध भी बना चुकी है, उसे भूल नहीं सकती. पति ने इस बात की जानकारी पत्नी के पिता को दी. पिता ने भविष्य में ऐसा नहीं करेगी और कहा वे इसकी गारंटी ले रहे है. इसके बाद पत्नी उसके पति के बाजू में रहकर प्रेमी से बात करती थी.

कोर्ट ने तलाक को दी मंजूरी

एक रात पति ड्यूटी में था तब पत्नी फोन कर झगड़ा करने लगी. पति ने उसे कहा घर आकर बात करता हूं…, फोन में पति ने अंतिम शब्द OK कहा. माइक में ओके शब्द सुनकर साथ में काम कर रहे दूसरे स्टेशन मास्टर ने रेलगाड़ी को रवाना करने के लिए ग्रीन सिग्नल दे दिया, जबकि नक्सल क्षेत्र होने के कारण उस खंड में रात 10 से सुबह 6 बजे तक रेल यातायात प्रतिबंधित था. इसके कारण रेलवे को तीन करोड़ का नुकसान हुआ. बाद में रेलवे में पति को निलंबित कर दिया. लगातार पत्नी द्वारा प्रताड़ित किये जाने पर उसने तलाक के लिए विशाखापटनम के परिवार न्यायालय में आवेदन दिया. तो पत्नी ने 498 के तहत पति, उसके 70 वर्षीय पिता, शासकीय सेवक बड़े भाई, भाभी व मौसेरा भाई बहन के खिलाफ झूठी रिपोर्ट दर्ज करा दो. मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया.  सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर पति के आवेदन को दुर्ग न्यायालय में ट्रांसफर किया गया. दुर्ग के परिवार न्यायालय से आवेदन खारिज होने पर पति ने हाई कोर्ट में याचिका पेश की. याचिका में जस्टिस रजनी दुबे एवं जस्टिस संजय कुमार जायसवाल की डीबी में सुनवाई हुई. हाई कोर्ट ने सुनवाई में पाया कि पत्नी ने पति पर भाभी के साथ अवैध संबंध होने का झूठा आरोप लगाया है.

जबकि याचिकाकर्ता पति की माँ का 2004 में निधन हो गया है. उसकी शादी में भाभी ने  के सभी रस्म की है. इसके अलावा पति व उसके शासकीय सेवक बड़े भाई, भाभी व अन्य रिश्तेदार जो अलग रहते है उनके खिलाफ दहेज प्रताड़ना की झूठी रिपोर्ट लिखाई. दहेज में कब व कैसे नकद रकम दिया गया नहीं बताया गया. कोर्ट ने कहा कि पति से फोन पर झगड़ा करने व इसके कारण माइक में ओके बोलने पर सहकर्मी ने प्रतिबंधित क्षेत्र के लिए रेलगाड़ी को सिग्नल दिया. जिसके लिए पति को निलंबित किया गया. पति के परिवार वालों के खिलाफ झूठी रिपोर्ट लिखाई व भाभी पर अवैध संबंध होने के झूठे आरोप लगाए ये सब पति के प्रति मानसिक क्रूरता है. हाईकोर्ट ने परिवार न्यायालय के निर्णय को रद्द कर पति के तलाक की याचिका को स्वीकार कर लिया है.

Navin Dilliwar

Editor, thesamachaar.in

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button