हिजाब के विरोध में लड़की ने उतारे कपड़े : ईरान में महिलाओं का कट्टर इस्लामी कानून के खिलाफ आंदोलन तेज़!
ईरानी शासन ने इन प्रदर्शनों को दबाने के लिए हिंसा का सहारा लिया, जिसके परिणामस्वरूप कई मौतें हुईं. लेकिन महिलाओं ने अपने अधिकारों के लिए खड़े होने का साहस नहीं छोड़ा.
Iran : ईरान में महिलाएं लंबे समय से हिजाब के खिलाफ अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रही हैं. हाल ही में, एक महिला ने इस्लामिक आजाद विश्वविद्यालय में अपने कपड़े उतारकर अपने विरोध को एक नया मोड़ दिया है. यह घटना न केवल ईरान में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी चर्चा का विषय बन गई है. हालांकि महिला को हिरासत में ले लिया गया है.
लड़की के इस कदम को उठाने और फिर उसकी गिरफ्तारी होने पर दुनियाभर से प्रतिक्रिया आई है. तेहरान की यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड रिसर्च में शनिवार को हुई इस घटना को देश में महिलाओं के लिए सख्त इस्लामी ड्रेस कोड के खिलाफ बगावत भी कहा जा रहा है क्योंकि लड़की के कपड़े उतारने की वजह ड्रेस कोड के लिए उसको टोकना बताया गया है.
क्या है पूरा मामला?
शनिवार को इस्लामिक आजाद विश्वविद्यालय की एक शाखा में एक अज्ञात महिला ने अपने कपड़े उतारे. सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में देखा जा सकता है कि सुरक्षा गार्ड उसे हिरासत में ले रहे हैं. इस दृश्य ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया और कई सवाल खड़े किए. विश्वविद्यालय के प्रवक्ता अमीर महजोब ने कहा कि महिला मानसिक दबाव का शिकार थी, और उसके मानसिक स्वास्थ्य पर भी चर्चा की गई है. वहीं अब लोग पूछ रहे हैं कि आखिर उस लड़की का क्या हुआ?
महिला का उद्देश्य
महिला के इस कृत्य के पीछे का मकसद स्पष्ट है. वह हिजाब के खिलाफ अपना विरोध व्यक्त कर रही थी. कई सोशल मीडिया यूजर्स ने इसे एक साहसी कदम माना और कहा कि यह महिलाओं के लिए एक गंभीर मुद्दा है. एक यूजर ने लिखा कि सार्वजनिक रूप से अंडरवियर में रहना उनके लिए सबसे बुरा है, जो इस्लामिक ड्रेस कोड के खिलाफ अधिकारियों के मूर्खतापूर्ण आग्रह का जवाब है.
हालांकि महिला की पहचान अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है, लेकिन ईरानी अखबार “Hamshahri” ने बताया है कि महिला को गंभीर मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. ऐसी स्थिति में उसे एक मानसिक अस्पताल में भेजा जा सकता है.
2022 से जारी आंदोलन
ईरान में महिलाओं का हिजाब के खिलाफ आंदोलन 2022 में शुरू हुआ था, जब एक कुर्द महिला को हिजाब नियमों के उल्लंघन के आरोप में नैतिकता पुलिस ने गिरफ्तार किया और उसकी मौत हो गई. इस घटना के बाद पूरे देश में व्यापक प्रदर्शन हुए. हजारों महिलाओं ने हिजाब उतारकर अपनी आवाज उठाई और अपनी स्वतंत्रता की मांग की. हालांकि, ईरान के लिए संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत माई सातो ने कहा है कि वह इस घटना की बारीकी से निगरानी करेंगी. ईरान के सख्त इस्लामी कानूनों के तहत महिलाओं को सार्वजनिक रूप से हिजाब पहनना अनिवार्य है. ये कानून देश की मोरल पुलिस लागू करती है और उल्लंघन के लिए उनको सजा भी दी जा सकती है.
सरकार की प्रतिक्रिया
ईरानी शासन ने इन प्रदर्शनों को दबाने के लिए हिंसा का सहारा लिया, जिसके परिणामस्वरूप कई मौतें हुईं. लेकिन महिलाओं ने अपने अधिकारों के लिए खड़े होने का साहस नहीं छोड़ा. महिलाओं के इस संघर्ष ने अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों का ध्यान भी आकर्षित किया है. कई संगठनों ने ईरानी सरकार से आग्रह किया है कि वह महिलाओं के अधिकारों का सम्मान करे और दमनकारी नीतियों को समाप्त करे. ईरान की महिलाओं का साहस, दृढ़ संकल्प और बगावत केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि एक सामूहिक संघर्ष का हिस्सा है.