-केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण बोर्ड को किया निर्देशित
दुर्ग- नगर निगम के भाजपा के पूर्व एल्डरमैन डॉ. प्रतीक उमरे ने केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष तन्मय कुमार से दुर्ग शहर के हवा की गुणवत्ता सुधारने व प्रदूषण का स्तर कम करने के लिए विशेष कार्ययोजना तैयार करने का आग्रह किया था। जिसपर संज्ञान लेते हुए केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण बोर्ड को भिलाई,कोरबा और रायपुर के लिए स्वच्छ वायु कार्ययोजना की तर्ज पर दुर्ग शहर को भी प्रदूषण मुक्त करने स्वच्छ वायु कार्ययोजना तैयार करने निर्देशित किया है।डॉ. प्रतीक उमरे ने बताया कि दुर्ग में वायु प्रदूषण बढ़ने से लोगों की परेशानियां भी बढ़ गई हैं।प्रदूषित हवा में लोग सांस लेने को विवश हैं।दुर्ग में बढ़ते प्रदूषण पर दुर्ग नगर निगम की भूमिका भी गैरजिम्मेदाराना है तथा दुर्ग में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) लगातार बढ़ता जा रहा है।वायु प्रदूषण में सबसे ज्यादा धूल के कण होते हैं।यह निर्माण कार्यों से उड़ते हैं।भवनों का निर्माण इस तरह होना चाहिए कि धूल न उड़े।निर्माण स्थल को ढका जाना चाहिए।लेकिन दुर्ग नगर निगम द्वारा इस तरफ भी कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।एनजीटी ने पुराने डीजल एवं पेट्रोल वाहनों पर रोक लगा दी है। इसके बावजूद शहर में बड़े पैमाने पर पुराने वाहन चल रहे हैं। वाहनों से फैल रहे प्रदूषण को रोकने की जिम्मेदारी परिवहन विभाग की है।लेकिन परिवहन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी भी इस पर मौन है lजिले में बड़े पैमाने पर उद्योग जहरीला धुआं उगल रहे हैं। इसके बावजूद जिला प्रशासन की कार्रवाई केवल नोटिस तक सीमित है।नोटिस के बाद स्थिति में थोड़ा बहुत सुधार होता है। लेकिन स्थिति फिर वही हो जाती है।दुर्ग शहर में वायु प्रदूषण का स्तर दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है,बारिश समाप्त होने के बाद सड़कों पर धूल के गुबार उड़ना प्रारंभ हो गए हैं,इसके चलते सड़कों पर चलना भी दूभर हो गया है,इससे लोगों के स्वास्थ्य पर भी विपरीत असर पड़ रहा है, सड़कों की खराब स्थिति को लेकर कई बार पहल करने के बाद भी निगम प्रशासन इसे लेकर बिल्कुल गंभीर नही है,सड़कों पर बने गड्ढे से तो लोग पहले ही परेशान हो रहे थे, अब उड़ती धूल का भी सामना करना पड़ रहा है,बढ़ते प्रदूषण से लोगों की आंखों के साथ सेहत पर भी असर पड़ रहा है,दुर्ग में धूल का प्रदूषण लोगों की सेहत बिगाडऩे के स्तर पर है, 200 माइक्रोग्राम तक धूल सामान्य श्रेणी में होती है,लेकिन धूल की मात्रा 500 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर तक होने पर सेहत पर बुरा असर पड़ता है,डॉ. प्रतीक उमरे ने दुर्ग में सड़कों पर धूल की यह मात्रा 600 माइक्रोग्राम तक होने की आशंका जाहिर की है तथा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से इस विषय पर संज्ञान लेते हुए हवा की गुणवत्ता सुधारने व प्रदूषण का स्तर कम करने के लिए विशेष कार्ययोजना तैयार करने का आग्रह किया था।