छत्तीसगढ़दुर्ग

कलेक्टर सिंह ने कोविड-19 में माता-पिता को खो चुके बच्चों से आत्मीय मुलाकात कर किया संवाद

*-बच्चों से शिक्षा और स्वास्थ्य की जानी स्थिति

दुर्ग – कोविड-19 महामारी के दौरान अपने माता-पिता को खो चुके 13 बच्चों से कलेक्टर अभिजीत सिंह ने आज आत्मीय मुलाकात कर संवाद किया। कलेक्ट्रेट परिसर में आयोजित इस विशेष कार्यक्रम में उन्होंने बच्चों से व्यक्तिगत रूप से बातचीत करते हुए उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य और भविष्य की योजनाओं की जानकारी ली।

कलेक्टर ने बच्चों से उनके वर्तमान विद्यालय, पढ़ाई की स्थिति और रुचियों के बारे में विस्तार से पूछा। उन्होंने यह भी जाना कि बच्चे भविष्य में क्या बनना चाहते हैं और किस क्षेत्र में करियर बनाना चाहते हैं। उन्होंने छात्रवृत्ति की उपलब्धता और शासन द्वारा दी जा रही अन्य सहायता योजनाओं के बारे में भी बच्चों से सीधे जानकारी ली। भारत सरकार एवं छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा पीएम केयर्स में लाभान्वित बालक/बालिकाओं को स्पांसरशिप योजना, महतारी दुलार योजना, एक्सग्रेसिया (आपदा प्रबंधन राहत कोष ), 23 वर्ष पूर्ण होने पर एकमुश्त 10 लाख रूपए की राशि, कक्षा पहली से 12वीं तक अध्ययनरत लाभार्थियों को प्रति वर्ष 20 हजार रूपए की छात्रवृत्ति प्रदान की जा रही है। स्वास्थ्य सुविधाओं पर चर्चा करते हुए कलेक्टर ने आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत जारी कार्ड के उपयोग और लाभों के बारे में बच्चों से पूछा। उन्होंने महिला एवं बाल विकास अधिकारी आर.के. जाम्बुलकर को निर्देशित किया कि सभी बच्चों का आयुष्मान कार्ड बनाना और उनका बायोमेट्रिक अपडेट सुनिश्चित किया जाए।

मुलाकात के दौरान बालिका शुभी ठाकुर जो वर्तमान में बीआईटी कालेज में सिविल में इंजीनियरिंग कर रही है, को उच्च शिक्षा हेतु कलेक्टर द्वारा उचित व सही मार्गदर्शन दिया गया। बालक दुष्यंत साहू डी फार्म के द्वितीय वर्ष में अध्ययनरत है जो कि मेडिकल स्टोर की एजेंसी डालना चाहता है, कलेक्टर ने दो वर्ष जन औषधि केन्द्र में नौकरी करने के पश्चात मेडिकल स्टोर खोलने हेतु सुझाव दिया गया। कलेक्टर सिंह ने यह भी निर्देश दिए कि सभी बच्चों के नाम से बैंक खाते सक्रिय हों और इनमें छात्रवृत्ति सहित अन्य आर्थिक सहायता समय पर जमा हो रही हो। उन्होंने कहा कि कोविड काल में माता-पिता को खो चुके बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए शासन-प्रशासन द्वारा हरसंभव प्रयास किया जा रहा है। इस दौरान कलेक्टर ने अपने व्यक्तिगत अनुभव भी बच्चों से साझा किए, जिससे बच्चों में आत्मविश्वास और अपनापन महसूस हुआ। बच्चों ने भी खुलकर अपने अनुभव बताए और कई ने अपनी आगे की पढ़ाई, करियर और जीवन के लक्ष्यों के बारे में उत्साहपूर्वक जानकारी दी। इस दौरान जिला बाल संरक्षण अधिकारी प्रिति डांगरे, सामाजिक कार्यकर्ता संदीप गुप्ता, परियोजना समन्वयक चंद्रप्रकाश पटेल, जिला बाल संरक्षण ईकाई के कर्मचारी उपस्थित थे।

 

Navin Dilliwar

Editor, thesamachaar.in

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