क्या दुर्ग ग्रामीण में होने जा रहा है SAO vs SAHU… गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू के खिलाफ चुनावी मोर्चा में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष…. पढ़ें पूरी जानकारी

रायपुर – प्रदेश की मौजूदा राजनीति में जातिय ध्रुवीकरण बेहद प्रभावी हो गया। बीते चुनावों में इसी के बूते कई नेता चुनावी वैतरणी पार करने में सफल रहे है। लिहाजा 15 साल सत्तासुख के बाद पराजय का दंश झेल रही भाजपा इस बार इसी फार्मूले पर कांग्रेस से हिसाब चुकता करने के मूड में दिख रही है। भाजपा जिले में कांग्रेस के बड़े नेताओं के खिलाफ जिस तरह चुनावी चक्रव्यूह रच रही है, इससे तो फिलहाल यही लगता है। इसी रणनीति के तहत दुर्ग ग्रामीण में साहू समाज के कद्दावर नेता व गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू को भी घेरने की रणनीति दिख रही है। भाजपा ने ताम्रध्वज के खिलाफ चुनावी रणनीति के लिए उन्हीं के समाज के मौजूदा मुखिया और अपने प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव को जिम्मेदारी दी है। इसे गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू के पक्ष में उनके समाज के वोटों के एकतरफा ध्रुवीकरण की संभावना पर विराम लगाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटी भाजपा अपने शक्ति केंद्रों की मजबूती पर जोर दे रही है। इसी के तहत शक्ति केंद्रों से जुड़े जमीनी कार्यकर्ताओं से बड़े नेताओं के सीधे संवाद से उनमें ऊर्जा भरने की रणनीति तैयार की गई है। गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू के निर्वाचन क्षेत्र दुर्ग ग्रामीण में इसकी जिम्मेदारी भाजपा ने प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव को दी है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव 19 अप्रैल को अपनी मुहिम का आगाज करेंगे और दुर्ग ग्रामीण विधानसभा के कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद करेंगे। बताया जा रहा है कि इसमें वे चुनाव की तैयारियों के साथ वरिष्ठ नेताओं की सक्रियता को लेकर कार्यकर्ताओं से फीडबैक लेंगे। दुर्ग ग्रामीण विधानसभा के ग्राम अंजोरा ख के एक निजी होटल में दोपहर 3 बजे से होने वाले भाजपा अध्यक्ष से संवाद के लिए शक्ति केन्द्र के प्रभारी, संयोजक, सह संयोजक को बुलाया गया है। सीधा संवाद का फोकस संगठनात्मक विषयों पर होगा। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरुण साव का यह दुर्ग ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में पहला प्रवास होगा।
इसलिए साहू के गढ़ में साव
गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू पिछले चुनाव में न सिर्फ अपने पक्ष में सामाजिक ध्रुवीकरण में सफल रहे थे, बल्कि उनके टिकट की घोषणा से पहले तक भाजपा के पक्ष में ज्यादा झुकाव की मुद्रा में दिख रहे समाज की कांग्रेस के प्रति बेरूखी को भी काफी हद तक दूर करने में सफल रहे थे। समाज का एक बड़ा खेमा उन्हें कांग्रेस की सरकार में शीर्ष दायित्व को लेकर उत्साहित था। इसका खामियाजा भाजपा को बड़ी हार के रूप में चुकाना पड़ा था, लेकिन भाजपा इस बार ऐसा कोई भी अवसर नहीं देना चाह रही है। संभवतः इसीलिए साहू वर्सेज साव का गणित बैठाया गया है।
सीएम के गढ़ पाटन में यही फार्मूला
सीएम भूपेश बघेल के क्षेत्र पाटन में भी भाजपा इसी फार्मूले पर आगे बढ़ने की तैयारी में है। मुख्यमंत्री बनने से पहले तक सीएम भूपेश बघेल की कुर्मी समाज के बड़े नेता के रूप में पहचान थी। अब ओबीसी नेता के रूप में उनकी पूरे देश में ख्याति है। इन्हीं दोनों पर फोकस कर भाजपा ने उनके इलाके में चुनावी रणनीति का दायित्व अपने ओबीसी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष भरत वर्मा को दी है।