दुर्ग नगर निगम क्षेत्र में अवैध कॉलोनियों का जमकर विस्तार:– शहर बचाओ,जागो महापौर!
जब जनप्रतिनिधि ही काटे ज़मीन, तो कौन बनाएगा न्याय की ज़मीन?

– निगम में ही कई पार्षद और उनके समर्थक ऐसे जो प्लाटिंग का काम कर रहे.
– महापौर ने चुनाव अभियान में कहा था की अवैध प्लाटिंग पर रोक लगाएंगे.
– लेकिन आज पुरे शहर से सटे इलाको में अवैध प्लाटिंग चल रहा.
दुर्ग नगर निगम क्षेत्र की वर्तमान तस्वीर यह बताने के लिए काफी है कि अब अवैध प्लाटिंग का कारोबार सिर्फ छुपकर नहीं, बल्कि सत्ता के साये में खुलकर हो रहा है। विडंबना यह है कि ये कृत्य किसी और के नहीं, जनप्रतिनिधियों के हाथों से हो रहे हैं, वही जनप्रतिनिधि जिनका कर्तव्य जनता की सेवा और नियमों की रक्षा करना था।
बोरसी, कसारीडीह, उरला, गया नगर – हर क्षेत्र में “बिना अनुमति” विकास की मुहिम!
शहर के हर कोने में निर्माण कार्य ज़ोरों पर है, पर ज़्यादातर कॉलोनियां नक्से से बाहर, वैधानिक अनुमति से दूर, और नियोजन प्रक्रिया के खिलाफ खड़ी की जा रही हैं। स्थानीय लोग दबी ज़ुबान में कह रहे हैं, “जब प्लॉट बेचने वाला खुद पार्षद हो, तो अफसर किससे लड़े?”
निगम की चुप्पी और महापौर की निष्क्रियता, जनता के विश्वास से किया गया छल,
जनता ने जिस भरोसे से श्रीमती अलका बाघमार को महापौर पद पर बैठाया था, वही भरोसा अब टूटता नजर आ रहा है। बीते 100 दिनों में न तो किसी अवैध कॉलोनी पर कार्यवाही हुई, न किसी जिम्मेदार पर फटकार। उल्टा अवैध निर्माणकर्ताओं को यह संदेश मिल गया है कि “अब हम सत्ता में हैं, कुछ नहीं होगा।”
जब अवैध कॉलोनी बनती है – तो शहरी विकास मरता है,
अवैध कॉलोनियों का सबसे बड़ा असर उस विकास योजना पर पड़ता है जो वैधानिक रूप से स्वीकृत क्षेत्रों के लिए बनी होती है। जब शासन की योजनाएं कृषि भूमि पर अवैध रूप से बसी बस्तियों को नजर अंदाज करती हैं, तब वहां के निवासी मूलभूत सुविधाओं से वंचित रह जाते हैं, और फिर विकास की जगह वहां राजनीतिक रिश्तों से सुविधा पहुंचाई जाती है।
क्या नगर निगम बना है “जनप्रतिनिधियों की प्लाटिंग एजेंसी”?
जनप्रतिनिधियों द्वारा खुलेआम प्लॉट काटे जा रहे हैं। कुछ तो इतना आश्वासन तक दे रहे हैं, “हम सरकार में हैं, विकास का पैसा तो आएगा ही! यानी जिन कामों को कॉलोनाइज़र को करना था, वह काम अब जनता के टैक्स से किया जाएगा। क्या यह जनसेवा है या जनधन की लूट..?
🛑 जनता का सवाल: —
✅ महापौर अलका बाघमार अवैध कॉलोनियों पर कब एक्शन लेंगी?
✅ क्या निगम जनप्रतिनिधियों के निजी हितों का अड्डा बन गया है?
✅ क्या शहर की नियोजन व्यवस्था को पूरी तरह ध्वस्त करने की तैयारी है?