विजय शर्मा के झीरम जाने पर भूपेश बघेल ने साधा निशाना, केदार कश्यप बोले- जब जेब में थे साक्ष्य, तो क्यों नहीं की कार्रवाई
छत्तीसगढ़ में झीरम घाटी की 13वीं बरसी 25 मई को मनाई जाएगी. कांग्रेस जहां इस दिन को शहादत दिवस के रूप में मनाने जा रही है. वहीं उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने इस दिन पहले ही झीरम घाटी में जाने का ऐलान कर दिया है. लेकिन 25 मई से पहले ही झीरम को लेकर एक बार फिर सियासत तेज हो गई है.

CG News: छत्तीसगढ़ में झीरम घाटी की 13वीं बरसी 25 मई को मनाई जाएगी. कांग्रेस जहां इस दिन को शहादत दिवस के रूप में मनाने जा रही है. वहीं उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने इस दिन पहले ही झीरम घाटी में जाने का ऐलान कर दिया है. लेकिन 25 मई से पहले ही झीरम को लेकर एक बार फिर सियासत तेज हो गई है.
झीरम हमले की बरसी पर शहादत दिवस मनाएगी कांग्रेस
25 मई को झीरम घाटी हमले की 13 वीं बरसी है. इस दिन को कांग्रेस शहादत दिवस के रूप में मनाने जा रही है. जहां चीफ दीपक बैज खुद झीरम जाने और शहीदों को श्रद्धांजलि देने की बात कह रहे हैं.
25 मई को झीरम जायेंगे विजय शर्मा
25 मई 2013, इस तारीख को बीते यूं तो 13 साल हो गए. लेकिन झीरम के घाव अब तक भरे नहीं हैं. सरकारें आईं और गईं. लेकिन पीड़ितों को 13 साल बाद भी न्याय नहीं मिल सका. यही वजह है झीरम में मिली दर्दनाक यादें लोगों को अब भी कराहने पर मजबूर कर देती हैं. एक बार फिर 25 मई की तारीख आने को है. इस बार भी 25 मई के करीब आते ही झीरम पर सवालों की गूंज सुनाई देने लगी है. एक तरफ कांग्रेस ने इस दिन को पूरे प्रदेश में शहादत दिवस के रूप में मनाने का ऐलान कर दिया है. पीसीसी चीफ दीपक बैज खुद झीरम जाने और शहीदों को श्रद्धांजलि देने की बात कह रहे हैं. दूसरी ओर उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा भी 25 मई को झीरम जाने की बात कह चुके हैं.
जांच को लेकर सवाल, भूपेश ने लगाया आरोप
लेकिन झीरम के पीड़ितों को कब न्याय मिलेगा. यह सवाल अब भी सियासी चेहरों को अनुत्तरित कर देती है. इसीलिए कभी जेब में झीरम के सबूतों की चर्चा होती है. कभी जांच नहीं होने देने को लेकर आरोप प्रत्यारोप होते हैं. झीरम घाटी की बरसी के पहले एक बार फिर ऐसे ही नजारे देखने मिल रहे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल झीरम मामले की जांच नहीं होने देने के लिए बीजेपी को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं.
जेब में थे साक्ष्य, तो क्यों नहीं की कार्रवाई – केदार कश्यप
छत्तीसगढ़ की झीरम घटना पर सियासी बोल शुरू से तीखे रहे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी कई बार बयानों में झीरम का सच जेब में रखना बताया है. इस मामले में अन्य कांग्रेस नेताओं के बयान भी आए हैं. सियासी बयानबाजी के बीच झीरम का सच अब भी पीछे छुटा हुआ है. झीरम में जान गंवाने वाले कांग्रेस नेताओं के परिजन आज भी झीरम घाटी का सच सामने आने का इंतजार कर रहे है. लेकिन झीरम का सच 13 साल इंतजार करने के बाद भी बाहर नहीं आ पाया है. झीरम पर इन 13 सालों में जमकर आरोप प्रत्यारोप का दौर भी होते रहा लेकिन मामले में जांच अब भी अधूरी है. हालांकि कांग्रेस के बयानों पर बीजेपी मामले में पलटवार भी करती रही है.
दीपक बैज पर भी साधा निशाना
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बयान पर कैबिनेट मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि हर एक मंच से भूपेश बघेल ने वोट बैंक की राजनीति की. भूपेश बघेल कहते थे कि झीरम के साक्ष्य हमारे पास है. यदि साक्ष्य थे तो कार्रवाई करने से किसने रोका. दीपक बैज की जेब में अगर साक्ष्य है तो सामने रखे. कहीं दीपक बैज ने अपना कपड़ा धुलवाकर साक्ष्य खत्म तो नहीं कर दिए.
13 साल पहले हुआ था झीरम कांड
बता दें कि 25 मई 2013 को झीरम घाटी में नरसंहार हुआ था. जहां नक्सलियों ने कांग्रेस नेताओं को टार्गेट किया था. झीरम घाटी में कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व खत्म हो गया था. जिसमें तत्कालीन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, दिनेश पटेल, बस्तर टाइगर महेंद्र कर्मा, विद्याचरण शुक्ल जैसे नेता शहीद हो गए थे.
आज भी अनसुलझे हैं झीरम का रहस्य
झीरम के रहस्य आज भी अनसुलझे हैं. पीड़ितों के सवालों के जवाब 13 साल बाद भी नहीं मिल सके. ऐसे में भले सियासी चेहरे आरोप प्रत्यारोप और वार पलटवार की राजनीति में उलझे हों. झीरम के पीड़ितों के चेहरों पर आज भी पीड़ा साफ झलकती है. लेकिन हर बीतते साल के साथ ही झीरम के अनसुलझे रहस्यों और सवालों के जवाब मिलने की उम्मीद भी कम होती जाती है. पीड़ितों के पास रह तो बस दर्दनाक यादें रह जाती है.