शादी का सीजन है, और भर भरकर तेल का इस्तेमाल किया जा रहा है. शादी के सीजन में तेल की इस खपत में आयी इस बढ़ोतरी ने तेल की कीमत पर सबकी नजर खींच दी है, क्योंकि पिछले दो महीने में तेल की कीमतों में काफी बढ़ोतरी हुई है.
CG News: शादी का सीजन है, और भर भरकर तेल का इस्तेमाल किया जा रहा है. शादी के सीजन में तेल की इस खपत में आयी इस बढ़ोतरी ने तेल की कीमत पर सबकी नजर खींच दी है, क्योंकि पिछले दो महीने में तेल की कीमतों में काफी बढ़ोतरी हुई है.
शादियों के सीजन में बढ़ा तेल का रेट
भारत में शादियों का सीजन चल रहा है और खाने के तेल की कीमतों में आई लगातार बढ़ोतरी ने सबका ध्यान खींच लिया है, क्योंकि तेल की क़ीमत हैरान कर देने वाली है अगर पिछले 2 महीने की बात करें तो अलग-अलग ब्रांड के हिसाब से तेल की कीमतों पर प्रति लीटर के हिसाब से औसतन 20 से 30 रुपए का उछाल आया है. वहीं प्रति टिन के हिसाब से 350 रुपए से लेकर 500 रुपए तक कीमतों में बढ़ोतरी हुई है. इससे आम जनता की कमर टूट रही है. इस बढ़ोतरी को समझने से पहले कुछ फैक्ट्स को जानना बेहद जरूरी है.
भारत में विदेशों से आता है 70 फ़ीसदी खाद्य तेल
भारत में करीब 70 फीसदी खाद्य तेल का विदेशों से आयात होता है. खाद्य तेल का करीब 30 फ़ीसदी ही घरेलू उत्पादन होता है. इनमें पाम, सोया, सनफ़्लावर, राइसब्राउन, मस्टर्ड(सरसों), ग्रोनोटाइल, कोकोनट, कोटनशीड तेल प्रमुख बिकने वाले तेल हैं. सोया तेल का अमेरिका, अर्जेंटीना, ब्राज़ील से मुख्यता आयात होता है. राइसब्रान तेल चावल के कोढ़ा से बनता है और भारत में इसकी अच्छी पैदावार है. पाम आयल का आयात मलेशिया और इंडोनेशिया से होता है. रूस, यूक्रेन, अर्जेंटीना से सैनफ़्लावर आयल का आयात होता है. कोरोना काल में तेल में इंपोर्ट ड्यूटी घटाने से तेल के दामों में बेतहाशा कमी आई थी.
जानिए क्यों बढ़ी तेल की कीमतें?
दरअसल कोरोना के दौरान तेल के आयात में इंपोर्ट ड्यूटी को घाटा दिया गया था. जिसके कारण विदेशों से आने वाला कच्चा खाद्य तेल सस्ता हो गया था. खाने के तेल की क़ीमतों में रिकॉर्ड स्तर की गिरावट आयी थी लेकिन उसके बाद रूस यूक्रेन युद्ध हुआ जिसके कारण सनफ्लावर ऑयल की क़ीमतों में बढ़ावा हुआ धीरे धीरे तेल की मांग और तेल की फसलों के उत्पादन के आधार पर तेल की क़ीमतें बढ़ती रही है. वहीं अगर तेल की क़ीमतों में हालिया आग लगने की बात करें तो 13 सितंबर को केंद्र सरकार ने तेल की कीमतों में आयात शुल्क में इजाफा करने का निर्णय लिया ताकि यहां के किसानों को इसका फ़ायदा पहुंचाया जा सके जिसके कारण लगातार 2 महीने से तेल के दाम बढ़ते जा रहे हैं.
- भारत ने सितंबर 2024 में खाद्य तेलों पर आयात शुल्क में 20% की बढ़ोतरी की थी, 14 सितंबर, 2024 से कच्चे पाम ऑयल, सोयाबीन और सूरजमुखी तेल पर आयात शुल्क 5.5% से बढ़ाकर 27.5% कर दिया गया. वहीं, रिफ़ाइंड पाम ऑयल, रिफ़ाइंड सनफ़्लावर ऑयल, और रिफ़ाइंड सोयाबीन ऑयल पर आयात शुल्क 13.75% से बढ़ाकर 35.75% कर दिया गया.
- पिछले 2 महीने की बात करें तो अलग-अलग ब्रांड के हिसाब से तेल की क़ीमतों में पर…प्रति लीटर के हिसाब से औसतन 20 से 30 रुपए का उछाल आया है. वहीं प्रति टिन के हिसाब से 350 रुपए से लेकर 500 रुपए तक क़ीमतों में बढ़ोतरी हुई है.
सितंबर ये थी खाद्य तेलों की कीमत
1- पाम ऑयल -105-110/110-120
2- सोया ऑयल-110-115/120-130
3- सनफ्लावर ऑयल-110-115/120-130
4- राइसब्राइन ऑयल-110-115/115-120
5- मस्टर्ड ऑयल(सरसों तेल)-120-130/140-150
(पहली सूची)
तेल की कीमत बढ़ने के बाद रेट
खाद्य तेल- नवंबर —थोक रेट/चिल्लर रेट (पर लीटर)-
1- पाम ऑयल -120-125/130-135
2- सोया ऑयल-130-135/140-150
3- सनफ्लावर ऑयल-135-140/150-160
4- राइसब्राइन ऑयल-120-125/125-130
5- मस्टर्ड ऑयल(सरसों तेल)-165-170/170-200
खाद्य तेलों की बढ़ी हुई कीमत ने लोगों के घरों का बजट ही बिगाड़ दिया है. अभी शादी का सीजन होने की वजह से तेल और सब्जी की खरीदी दोगुना तक बढ़ गई है. लोगों को मजबूरी में बढ़ी हुई कीमत में पूरे सामान खरीदने पड़ रहे हैं. खाने-पीने की चीजों की बढ़ती कीमतों ने लोगों को पहले ही परेशान कर रखा है, लेकिन महीनों से खाद्य तेलों की बढ़ी हुई कीमत ने लोगों के घरों का बजट ही बिगाड़ दिया है. शादी का सीजन होने की वजह से तेल और सब्जी की खरीदी दोगुना तक बढ़ गई है. लोगों को मजबूरी में बढ़ी हुई कीमत में पूरे सामान खरीदने पड़ रहे हैं. ड्यूटी पढ़ाते समय तर्क था कि इससे किसानों को फायदा होगा. अब देखने वाली बात होगी कि किसानों को इससे कितना फ़ायदा मिलता है लेकिन इस बढ़ोतरी से लोगों का बजट जरूर बिगड़ गया है.