
रायपुर – छत्तीसगढ़ विधानसभा में आज बोरे बासी घोटाले का मामला उठा। सत्ता पक्ष के विधायकों ने पूर्व कांग्रेस सरकार पर इस कार्यक्रम में 8 करोड़ 50 लाख की अनियमितता का आरोप लगाते हुए जांच की मांग की। सरकार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच विधायक दल की कमेटी से कराने की घोषणा सदन में की।
सरकारी आयोजन के नाम पर करोड़ों रुपये का बंदरबाट –
विधानसभा में आज भाजपा विधायक राजेश मूणत ने ध्यानाकर्षण सूचना के माध्यम से यह मामला उठाया। उन्होंने बताया कि कांग्रेस शासनकाल में साइंस कॉलेज में हुए बोरे बासी उत्सव में साढ़े आठ करोड़ का फर्जी बिल लगाकर भ्रष्टाचार किया गया है। सरकारी आयोजन के नाम पर करोड़ों की राशि का बंदरबाट श्रम विभाग के अधिकारियों ने किया है। इसलिए इसकी जांच कराकर दोषियों पर कार्रवाई करने की मांग भाजपा सदस्य ने की।
विधायक दल की कमेटी करेगी जांच –
श्रम मंत्री लखनलाल देवांगन ने इसकी जांच अपने विभाग के उच्च अधिकारियों से कराने का भरोसा सदन को दिलाया। इस पर अजय चंद्राकर ने कहा जब विभाग ने ही गड़बड़ी की है तो उसी विभाग से जांच कराने का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने इसकी जांच विधायक दल की कमेटी से कराने की मांग की, जिसका समर्थन राजेश मूणत ने भी किया। लगातार भाजपा विधायकों के दबाव को देखते हुए श्रम मंत्री लखनलाल देवांगन ने इस मामले की जांच विधायक दल की कमेटी से कराने की घोषणा की। इसके लिए भाजपा विधायकों ने मंत्री का आभार जताया।
सूचना के अधिकार से हुआ खुलासा-
दरअसल, कांग्रेस शासनकाल के दौरान 1 मई यानी श्रमिक दिवस के मौके पर छत्तीसगढ़ी खान-पान को बढ़ावा देने बोरे-बासी खिलाने का प्रावधान किया गया। इस तामझाम में भूपेश बघेल की सरकार ने 8 करोड़ से अधिक खर्च कर दिया था। इसका खुलासा सूचना के अधिकार (RTI) के तहत मिली जानकारी से हुआ है।
दस्तावेजों के अनुसार, राजधानी रायपुर में बोरे-बासी खिलाने पर 8 करोड़ से अधिक की राशि खर्च की गई थी। यह राशि सिर्फ राजधानी रायपुर में खर्च की गई है। वह भी बिना किसी सरकारी निविदा के खर्च की गई।