
दुर्ग – 18 अगस्त से राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल प्रदेश में जारी है, दुर्ग जिलाध्यक्ष डॉ आलोक शर्मा ने जानकारी दी कि शासन प्रशासन एवं एन एच एम कर्मचारियों के बीच अभी तक बातचीत के कई दौर हुए हैं परंतु समस्या का कोई समाधान नहीं निकल पाया है जिस कारण आंदोलन अभी भी जारी है , इस बीच 25 से अधिक लीडर्स को सेवा से पृथक भी कर दिया गया है तथा पुन: एक बार सभी को चेतावनी पत्र जारी कर कहा गया है कि वह हड़ताल समाप्त करें अन्यथा उनकी भी बर्खास्तगी की जाएगी।
इधर सरकार का कहना है कि उसने पांच मांगे मान ली है जबकि हड़ताली एन एच एम कर्मचारी उन पांच मांगों का आदेश मांग रहे हैं जिसमें लंबित 27% वेतन वृद्धि भी सम्मिलित है ,शासन प्रशासन द्वारा लगातार किए जा रहे दमन और उपेक्षा तथा कमेटी बनाकर काम अटकाने के षड्यंत्र के खिलाफ निराश और आक्रोशित होकर अब एनएचएम कर्मचारियों ने राज्यपाल से इच्छा मृत्यु की गुहार लगाने हेतु अपने साथियों के बीच हस्ताक्षर अभियान शुरू किया है।
प्रदेश अध्यक्ष डॉ अमित कुमार मिरी ने बताया कि ,इसके लिए आज सभी 33 जिलों में धरना देने आए हुए कर्मचारियों ने इच्छा मृत्यु के पत्र पर हस्ताक्षर कर जमा करना शुरू कर दिया है जो महामहिम राज्यपाल को भेजा जाएगा।
भारी बारिश में भी धरना स्थल से हटने तैयार नही हड़ताली-
हड़ताली कर्मचारियो द्वारा हड़ताल के 29 वे दिन भारी बारिश के बावजूद भयानक भीड़ देखने को मिल रही थी सरकार के दमन कारी नीतियों के खिलाफ कोई भी झुकने को तैयार नही है और इस पत्र के विरोध में अब राज्यपाल को इच्छा मृत्यु के लिये तक आवेदन देने तैयार हो गए है।
शौक नही मजबूरी है ये हड़ताल जरूरी है-
उपाध्यक्ष दिव्या लाल ने बताया कि हमारे कैडर के नीचे स्तर के कर्मचारी का वेतन 8800 रुपये है pf काट के उसे 7000 मिलता है,इस महंगाई में इतने कम वेतन में कैसे घर चलाया जाए उस पर ना हमे गृह भाड़ा नही मिलता,घर का किराया,पेट्रोल का खर्चा निकाल दे तो जेब मे कुछ नही बचता,सरकार को संवेदनशील तरीके से फैसला करना चाहिए।
आज किया नाटक का मंचन-
सह सचिव चंद्रहास धनकर ने जानकारी दी कि हड़ताल के 29 वे दिन संविदा शोषण और हड़ताल के प्रभाव को दर्शाने नाटक का मंचन किया गया,हमारे कर्मचारियो की स्थिति अत्यंत दयनीय है 20 साल के सेवा के बाद हम पहली बार अपने अधिकार के लिए इस कदर लड़ रहे उस पर शासन दमन का सहारा ले रही जबकि चुनाव के समय हमने इनकी बातों में आ के इनका साथ दिया था।उपस्थित रहे।