Durg जिला पंचायत में चाय नास्ता के बिल में भ्रष्टाचार, कलेक्टर से शिकायत!

– 15 वे वित्त के राशि मे भ्रष्टाचार करने वाले अधिकारियों पर कार्यवाही और वसूली करने की मांग
– 50/- के नास्ता चाय के लिए 230 रुपये का भुगतान
दुर्ग – दुर्ग जिला पंचायत में चाय नाश्ता पानी खरीदने में धांधली को लेकर शिकायत की गई है जन दर्शन में आए उक्त मामले में युवा कांग्रेस के नेता यशवंत देशमुख ने इस गंभीर अनियमितता का खुलासा किया है, उन्होंने इस मामले पर उक्त भुगतान की वसूली अर्थात रिकवरी की मांग की गई है.
शिकायत में कहा गया है कि प्रति व्यक्ति 10 रुपये की चाय, 30 रुपये का नास्ता , 10 रुपये के पानी बोतल जिसका कुल योग 50 रुपये होता है. उसके लिए मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत दुर्ग ने अलग-अलग दिनाँक मे 230 रुपये भुगतान किया गया है, जो कि प्रति प्लेट लगभग 200 रुपये अधिक है, यदि देखा जाये तो एक दिन में औसत एक मनरेगा श्रमिक लगभग इतना मजदूरी प्राप्त कर्ता है! किन्तु 5 गुना अधिक है वह भी बिना GST वाले बिल के विरुद्ध भुगतान किया गया है! बिना जीएसटी बिल के भुगतान किया जाना अवैधानिक है एक ओर पंचायत के सरपंच सचिव इस मामले में कार्यवाही में निलंबित किए जाते हैं वहीं उन पर कार्यवाही करने वाले आला सक्षम अधिकारी मात्र कुछ राशि के लालच में आकर खुद यह कृत्य करने से नहीं झिझक रहे हैं.
वर्तमान मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत दुर्ग के संरक्षण में भ्रस्टाचार चरम पर पहुंच चुका है अतः उक्त अधिकारी के खिलाफ उचित कार्रवाई कर समुचित राशि को वापस कोष में जमा करवाने के लिए वसूली की कार्यवाही करने की कृपा करें !
उक्त कृत्य से शासन को क्षति पहुंचायी जा रही है.
15वें वित्त की राशि को आम जनता के हित में
बेहतर कार्य में लगाया जाना चाहिए लेकिन अनाप-शनाप खर्च कर फर्जी बिल के माध्यम से हजारों लाखों रुपए बर्बाद किया जा रहे हैं !
इस मामले में उचित जांच करवाई की जावे क्योंकि निम्न सदन ग्राम पंचायत में बिना जीएसटी के कोई बिल आहरण नहीं किया जाता है और यह आदेश पंचायत के उच्च कार्यालय जिला पंचायत से ही आदेश किया जाता है लेकिन स्वयं नियमों को ताक में रखकर पैसों का गबन किया जा रहा है.
आपको बता दें कि जिला पंचायत द्वारा गढ़ कलेवा का टेंडर किया गया है जिसे एक महिला समूह चला रही है जहां पर ₹130 में स्पेशल थाली मिलती है उसके बावजूद चाय नाश्ता में 230 रुपए की खरीदी कर दी गई है जो की बहुत ज्यादा है, महिला समूह के उत्थान के बारे में जिला पंचायत कितना गंभीर है यह इस प्रकरण से मालूम पड़ जाता है.
बहरहाल इस मामले पर जिला पंचायत में हड़कंप मच गया है वहीं ग्राम पंचायत स्तर तक खबर पहुंचने से उच्च सदन पर विभिन्न तरह के सवाल उठ रहे हैं. अब देखना यह है कि कार्रवाई के नाम पर क्या की जाती है.



