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दुर्ग में PDS चावल की कालाबाजारी का गोरखधंधा, लोहा गोदाम में क्या कर रहा है चावल गाड़ी ?

दुर्ग। जिले में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के तहत गरीबों के लिए मिलने वाला चावल अब भी तस्करों की कालाबाजारी का शिकार हो रहा है। जिला खाद्य नियंत्रक कार्यालय से कुछ ही दूरी पर लोहा गोदाम की आड़ में बड़ी मात्रा में पीडीएस चावल का अवैध भंडारण और जमाखोरी हो रही है। इस चावल को पॉलिश और प्रोसेस करके राइस मिलों के माध्यम से महंगे दामों पर बाजार में बेचा जा रहा है।

फाइनल फोटो:PDS चावल लोहा गोदाम में ले जाते हुए….

सूत्रों के अनुसार, खाद्य विभाग की कार्रवाई में हाल ही में भारी मात्रा में सरकारी चावल जब्त किया गया, लेकिन इसके बावजूद प्रशासन तस्करों पर पूरी तरह से नियंत्रण नहीं कर सका है। यही कारण है कि गरीबों तक सस्ता और पोषक चावल पहुंचने के बजाय बाजार में मुनाफाखोरी का माध्यम बन गया है।

भाजपा सरकार की ₹1 किलो चावल योजना का लाभ उठाने वाले वर्ग को इस अवैध कारोबार से सबसे अधिक नुकसान हो रहा है। तस्कर और मिल संचालक कस्टम बिलिंग के जरिए प्रति किलो की कीमत में ₹20 से ₹30 तक की बढ़ोतरी कर रहे हैं। खाद्य विभाग द्वारा फोर्टिफाइड राइस कर्नेल (FRK) यानी पोषक तत्वों से भरपूर चावल मिलाने की पहल भी अपेक्षित परिणाम नहीं दे पा रही है।

विशेषज्ञों के अनुसार, FRK चावल में आयरन, फोलिक एसिड और विटामिन बी-12 जैसे तत्व शामिल होते हैं, जो कुपोषण और एनीमिया की समस्या को कम करने में मदद करते हैं। इसे सामान्य चावल में 1:100 के अनुपात में मिलाया जाता है, लेकिन जब यह चावल ही बाजार में बेजायज बिक रहा है, तो गरीबों तक पोषण सुरक्षा पहुंचना असंभव बन जाता है।

स्थानीय लोग और सामाजिक संगठनों ने प्रशासन से मांग की है कि इस कालाबाजारी को रोकने के लिए तस्करों पर सख्त कार्रवाई की जाए और सुनिश्चित किया जाए कि गरीब परिवारों को उनका हक का चावल पारदर्शी तरीके से उपलब्ध हो !

Navin Dilliwar

Editor, thesamachaar.in

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