खास खबर

वजन नापने के मौके पर आंगनबाड़ी में ली जाएंगी बच्चों की फोटो, चुनिंदा सैंपल देखकर कलेक्टर खुद पहुंचेंगे आंगनबाड़ी l बच्चों का पोषण सर्वोच्च प्राथमिकता, कलेक्टर ने कहा कि अति गंभीर कुपोषित बच्चों पर करेंग विशेष रूप से कार्य l

 

 

 

दुर्ग 18 जुलाई 2022 – मासिक रूप से बच्चों की ग्रोथ जांचने आंगनबाड़ी में जो वजन कराया जाता है। उसका फोटोग्राफ भी अब मौके पर ली जाएंगी। सारी फोटोग्राफ सुपरवाइजर्स संकलित करेंगे। इनमें रैंडम फोटोग्राफ चयनित कर सीडीपीओ आंगनबाड़ियों में बच्चों की ग्रोथ पर नजर रखेंगे। डीपीओ भी ऐसा करेंगे। कलेक्टर श्री पुष्पेंद्र मीणा ने यह निर्देश महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों को दिये। कलेक्टर ने कहा कि चुनिंदा आंगनबाड़ियों के सैंपल वे खुद देखेंगे। यहां जाकर बच्चों के पोषण की स्थिति देखेंगे। जरूरत पड़ने पर अभिभावकों से भी मिलेंगे। कलेक्टर ने बैठक में सुपोषण के लिए लेकर कार्ययोजना पर विस्तृत चर्चा की। बैठक में जिला कार्यक्रम अधिकारी श्री विपिन जैन सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

[ऐसे अति गंभीर कुपोषित बच्चों का होगा चिन्हांकन जिनका वजन पिछले छह महीने से उतना ही ]

कलेक्टर ने कहा कि हमारा लक्ष्य अति गंभीर कुपोषित बच्चों को कुपोषण के दायरे से पूरी तरह निकालना है। इसके लिए हमें हर बच्चे के लिए विशेष रणनीति बनानी होगी। हर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के क्षेत्र में ऐसे 2 से 3 बच्चे होते हैं। इन पर नियमित रूप से नजर रखें। उन्हें डाइट प्लान के मुताबिक खाना दें। सावधानियों के संबंध में अवगत कराएं। जिन बच्चों का वजन पिछले छह महीनों से नहीं बढ़ा है। उनकी व्यापक मेडिकल जांच कराई जाएगी ताकि इसके कारणों का चिन्हांकन कर इन्हें ठीक किया जा सके।

[ लोकल टेस्ट के मुताबिक तैयार किया जाएगा डाइट प्लान ]

कलेक्टर ने कहा कि बच्चों का घर में समय-समय पर भोजन बहुत जरूरी है। इसके लिए डाइट प्लान तैयार करें। डाइट प्लान ऐसा हो जिसे पूरा करने में किसी तरह की दिक्कत घर वालों को न हो। उदाहरण के लिए आयरन कंटेट के लिए भाजी का उपयोग कर सकते हैं। छत्तीसगढ़िया थाली में अनेक प्रकार के पौष्टिक तत्व होते हैं। बस इनका सही समय पर निर्धारित मात्रा में उपयोग के संबंध में जागरूक होना जरूरी है।

[ सप्ताह में तीन दिन गृह भेंट ]

कलेक्टर ने कहा कि कुपोषण दूर करने फील्ड एक्टिविटी सबसे ज्यादा जरूरी है। जितना ज्यादा संवाद अभिभावकों से होगा, कुपोषण दूर करने में उतनी ही मदद मिलेगी। सप्ताह में तीन दिन भी गृह भेंट के लिए निकाल लिया जाए तो बच्चे की सुपोषण की स्थिति को कायम रखा जा सकता है। नियमित रूप से कार्यकर्ता के आने से परिवार के लोग भी इसकी गंभीरता को बेहतर तरीके से समझ पाते हैं।

[ मोरेंगा बार के नवाचार की कलेक्टर ने प्रशंसा की ]

अधिकारियों ने बताया कि यहां पर छह माह से 12 माह तक के बच्चों और 37 से 54 माह तक के बच्चों को मोरेंगा बार दिया जा रहा है। यह स्वादिष्ट भी होता है और बच्चों के लिए काफी पोषक भी। कलेक्टर ने इस पहल की प्रशंसा की। साथ ही उन्होंने बच्चों को गर्म भोजन के साथ ही केला देने के निर्देश भी दिये।

[ मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान आरंभ होने से अति गंभीर कुपोषित बच्चों की संख्या में 4 प्रतिशत तक की गिरावट ]

अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान आरंभ होने से कुपोषण में लगभग चार प्रतिशत तक की गिरावट आई है। वर्ष 2019 में वजन त्योहार के मुताबिक गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों का प्रतिशत 15.71 था जो वर्ष 2021 में घटकर 12.60 प्रतिशत रह गया। इस वर्ष इसमें और भी कमी आई है।

Navin Dilliwar

Editor, thesamachaar.in

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button