
दुर्ग – दुर्ग देवी मंदिरों और आध्यात्मिक स्थलों में चमत्कारिक घटनाओं के कई प्रसंग सुनने को मिलते हैं, लेकिन गजपारा स्थित सत्तीचौरा और मां दुर्गा मंदिर की बात ही अलग है। स्थानीय लोगों के मुताबिक यहां श्रद्धाभाव में पाचने वाले लोगों को माता सती के साथ मां दुर्गा की कृपा भी मिल जाती है। प्राचीन सती स्थल के कारण विख्यात सत्तीचौरा में पूजा अर्चना से जहां लोगों की पीड़ा समाप्त होती है,
वहीं मां दुर्गा की कृपा से हर काम निर्किन पूर्ण हो जाता है। सत्ती चौरा दुर्गा मंदिर शहर का एक मात्र देवी मंदिर है, जहां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होती है।
मंदिर समिति के योगेंद्र शमां बताते हैं कि सत्तीचौरा की स्थापना कब हुई इसकी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है. लेकिन यहां आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त किसी माता के सती हो जाने की बात प्रचलित है। पुराने जानकार लोगों के हवाले से वे बताते हैं कि किसरी वजह से विचलित सती माता ने योग बल से जग्नि प्रज्वलित किया और उसमें खुद को समर्पित कर दिया। जिस जगह माता सती हुई थी, उस जगह पर चबूतरे के निर्माण कर दिया गया, जी आज सत्ती चौरा के नाम से विख्यात है। इसी सत्ती चौरा के नाम से पूरे मोहल्ले की पहचान होती है। बाद में इसके समीप ही दुर्गा मंदिर की स्थापना की गई।
हर दिन माता का अलग-अलग श्रृंगार-
यहां हर दिन माता की प्रतिमा अलग-अलग रूपों में श्रृंगार होता है। इसके साथ देवी के सारूप में हर दिन 100 कन्याओं के पूजन के साथ भोज मी कराया जाता है। इसके अलावा बीससी पौरा दुर्गा मंदिर शहर का एकमात्र देवी मंदिर है, जहां चारों नवरात्र पर विशेष आयोजन किय जाते हैं। क्योर नवरात्रि में मां दुर्गा की प्रतिमा भी स्थापित की जाती है। साथ ही गुप्त नवरात्रियों में शान्त्रीय विधान से विशेष पूजा अर्चना की जाती है। सत्तीचौरा दुर्गा मंदिर में कन्या भोज की अपनी ही विशिष्ट परंपरा है। चैत्र नवरात्रि में मंदिर पहुंचने वाली सभी कन्याओं का पूजन किया जाता है।