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AI नहीं, माँ दुर्गा की प्रतिमाए परम्परा के अनुरूप ही होंगी!

दुर्ग – मानव जीवन में कृत्रिम बुद्धिमत्ता आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का दखल तेजी बढ़ता जा रही है। गणेशोत्सव शोत्सव में एआई से बनी तस्वीरों के आधार पर प्रतिमाओं का निर्माण कराया गया, लेकिन दुर्गोत्सव पर ऐस नहीं होगा। गणेशोत्सव में एआई की मदद से तैयार प्रतिमाओं को लेकर मदद विरोध की खबरें खबरें आई। इसे देखते हुए इस बार थनौद के मूर्तिकारी ने ऐसी प्रतिमाओं का निर्माण नहीं करने का फैसला किया है। मूर्तिकारों का कहना हे कि आयोजकों ने भी ऐसी प्रतिमाओं की डिमांड नहीं की है।

उल्लेखनीय है कि थनौद में हर साल दो हजार से ज्यादा दुर्गा प्रतिमाओं का निर्माण होता है।

जगदंबा स्वरूप की मांग इस बार केवल धार्मिक व पौराणिक मान्यताओं के अनुरूप प्रतिमाओं का निर्माण किया जा रहा है। एआई पर आधारित प्रतिमाओं को लेकर कुछ जगहों पर आपत्ति की खबर आई थी। दुर्गाजी की जगदम्बा स्वरूप की प्रतिमाओं की इस बार ज्यादा डिमांड है। -लव चक्रधारी, मूर्तिकार, शिल्पग्राम थनौद

अलग की चाह में एआई का चलन

प्रतिमाओं के निर्माण के लिए देशभर में विख्यात शिल्पग्राम थनौद के मूर्तिकार लव चक्रधारी बताते है कि पौराणिक मान्यताओं के आधार पर तैयार देवी-देवताओं की प्रतिमाएं लगभग एक जैसी होती हैं। ऐसे में एक ही तरह की प्रतिमाएं कई जगहों पर हो जाती हैं। अलग की चाह में प्रतिमाओं के निर्माण के लिए एआई जेनरेटेड तस्वीरों का इस्तेमाल का चलन बढ़ा था। ऐसी प्रतिमाओं में भाव-भंगिमा, डिजाइन, रंगाई व साज-सज्जा मनचाहे ढंग से कराई जा सकती थी।

Navin Dilliwar

Editor, thesamachaar.in

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