राजनांदगांवछत्तीसगढ़

मां पाताल भैरवी मंदिर में स्वांस, दमा एवं अस्थमा पीड़ितों को हुआ जड़ी बुटीयुक्त खीर वितरण, प्रदेशभर से पहुंचे श्रद्धालु

राजनांदगाव- शहर के मां पाताल भैरवी मंदिर में शरद पूर्णिमा की रात्रि स्वांस, दमा एवं अस्थमा पीड़ितों को जड़ी बुटीयुक्त खीर का वितरण किया गया। इस दौरान देश के कई राज्यों और प्रदेश के विभिन्न जिलों से हजारों श्रद्धालु जड़ी बूटी युक्त खीर ग्रहण करने पहुंचे।

शहर के सिद्ध शक्तिपीठ मां पाताल भैरवी मंदिर समिति द्वारा प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी शरद पूर्णिमा की रात लोगों को बेहतर स्वास्थ्य देने के उद्देश्य से जड़ी बूटी युक्त खीर का वितरण किया गया, इस खीर की प्रसिद्ध देश के कई जिलों में है। जिसकी वजह से हजारों लोग शरद पूर्णिमा की रात जड़ी बूटी युक्त इस खीर को ग्रहण करने पहुंचते हैं इस वर्ष भी हजारों श्रद्धालु ने यहां पहुंचकर प्रसाद स्वरूप जड़ी बूटी युक्त खीर ग्रहण किया रायपुर सहित अन्य जिलों से पहुंचे श्रद्धालुओं ने कहा कि प्रतिवर्ष वे यहां आते हैं और यहां के खीर सेवन से उन्हें काफी लाभ भी होता है।

मंदिर समिति के अध्यक्ष राजेश मारू ने बताया कि बर्फानी आश्रम स्थित मां पाताल भैरवी, राज राजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी दस महाविद्या और द्वादश ज्योर्तिलिंग शिव शक्ति इस सिद्धपीठ में मानव सेवा एवं जनकल्याण के लिए स्वांस, दमा व अस्थमा पीड़ितों को पिछले 27 वर्षों से दुर्लभ जड़ी बुटियां एकत्रित कर पौराणिक मान्यताओं अनुसार जड़ी बुटी युक्त खीर प्रसादी तैयार शरद पूर्णिमा की रात दी जाती है। इस खीर का सेवन स्वांस, दमा व अस्थमा पीड़ितों को ब्रम्हमुहूर्त में कराया जाता है।

मां पाताल भैरवी मंदिर समिति द्वारा इस वर्ष लगभग 30 हजार से भी अधिक पीड़ितों के लिए खीर प्रसाद तैयार किया गया था। जिसका श्रद्धालुओं को निशुल्क वितरण किया गया। जड़ी बूटी युक्त इस खीर को ग्रहण करने के लिए पीड़ितों को खीर खाने से 6 घंटे पहले और खाने के 6 घंटे बाद तक सोने की मनाही होती है। इसके लिए मंदिर समिति द्वारा मंदिर प्रांगण में ही सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है ताकि देश के अलग-अलग जिलों से पहुंचे श्रद्धालु खीर वितरण के दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद भी ले सकें। इस दौरान छत्तीसगढ़ की प्रसिद्ध लोक कलामंच स्वरधारा के कलाकारों द्वारा कर्मा, ददरिया, सुवा, जस व पारंपरिक गीत व नृत्य के अलावा हास्य व्यंग्य की प्रस्तुति दी।

Navin Dilliwar

Editor, thesamachaar.in

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