पद्मश्री उषा बारले क्या बीजेपी ज्वाइन करेंगी? क्या बीजेपी बारले पर खेलेगी चुनावी दाव? क्या है अमित शाह के पद्मश्री बारले के निवास में जाने के मायने? जानिये

दुर्ग – 22 जून को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का दुर्ग दौरा प्रस्तावित था. इस दौरे को लेकर जहां बीजेपी काफी उत्साहित नजर आई, कार्यकर्ताओं मे काफी जोश दिखा तो वहीं पद्मश्री उषा बारले के निवास में अमित शाह के जाने को लेकर अटकलों का बाजार भी गर्म हो गया. पद्मश्री उषा बारले ST समुदाय से आती है, और दुर्ग विधानसभा कि आई वारा स्वीट में ST वोट बैंक को साधने के लिए बीजेपी पद्मश्री उषा बारले पर दाव सकती है.
क्या पद्मश्री उषा बारले छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में भाजपा की उम्मीदवार हो सकती है?
दरअसल राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि वह बीजेपी के टिकट पर अहिवारा विधानसभा या पाटन विधानसभा क्षेत्र से उषा बारले चुनाव लड़ सकती हैं। पद्मश्री पुरस्कार लेते समय उनके प्रेजेंटेशन से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह काफी प्रभावित हुए थे। इसके बाद यह चर्चा भी खूब रही कि वो विधिवत भाजपा की सदस्यता ले सकती है. महासभा के 1 दिन पहले अचानक यह जानकारी दी गई कि गृहमंत्री पद्मश्री उषा बारले के सेक्टर 1 भिलाई स्थित घर जाकर उनसे मुलाकात करेंगे, अचानक तय किए गए इस कार्यक्रम के गहरे सियासी अर्थ निकाले जा रहे हैं.
उषा बारले के sector-1 निवास पहुंचे अमित शाह
दुर्ग में आयोजित जनसभा को संबोधित करने से पहले उन्होंने मशहूर पंथी गायिका पद्मश्री ऊषा बारले से उनके आवास पर मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने वहां छत्तीसगढ़ी व्यंजनों का भी लुफ्त उठाया। केंद्रीय गृहमंत्री को अपने करीब पाकर उषा बारले और उनका परिवार काफी खुश नजर आ रहा था।
इस दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह, प्रदेश प्रभारी ओम माथुर, प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव और सांसद विजय बघेल मौजूद थे।
जानिए कौन है उषा बारले ?
ऊषा बार्ले कापालिक शैली की पंडवानी गायिका हैं. 2 मई 1968 को भिलाई में जन्मी उषा बारले ने सात साल की उम्र से ही पंडवानी सीखनी शुरू कर दी थी. बाद में उन्होंने तीजन बाई से इस कला की रंगमंच की बारीकियां भी सीखीं. पंडवानी छत्तीसगढ़ के अलावा न्यूयॉर्क, लंदन, जापान में भी पेश की जा चुकी है. गुरु घासीदास की जीवनी को पंडवानी शैली में सर्वप्रथम प्रस्तुत करने का श्रेय भी उषा बारले को ही जाता है.
गिरफ्तार भी हो चुकी हैं पंडवानी गायिका
उषा बारले को राज्य सरकार द्वारा 2016 में गुरु घासीदास सम्मान दिया गया था. उषा बारले छत्तीसगढ़ राज्य आंदोलन से भी जुड़ी थीं. 1999 में अलग राज्य के लिए दिल्ली के जंतर-मंतर पर हुए प्रदर्शन के दौरान उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था. उस प्रदर्शन का नेतृत्व विद्याचरण शुक्ल कर रहे थे.
विदेशों में भी पेश किया पंडवानी
अमेरिका और लंदन के 20 से अधिक शहर में पंडवानी गायन पेश कर चुकी हैं। इसी तरह से भारत में रांची, असम, गुवाहाटी, गुना, भागलपुर, ओडिशा, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, हैदराबाद, हरियाणा, कोलकाता, जयपुर में पंडवानी गायन से अपनी पहचान बना चुकी हैं।