दुर्ग । हार के डर के कारण कांग्रेस की भूपेश बघेल की सरकार सेवा सहकारी समितियों में चुनाव नही करा रही है.राज्य सरकार द्वारा जिस तरह नगरीय निकायों के चुनाव में सुनियोजित ढंग से महापौर ,नगर पालिका अध्यक्ष का सीधे जनता से प्रत्यक्ष चुनाव न कराकर पिछले दरवाजे से पार्षदों द्वारा निर्वाचन कराकर नगरीय निकायों में कब्जा किया गया उसी तरह प्रदेश के सेवा सहकारी समितियों में भी अशासकीय व्यक्तियों की नियुक्ति करके सरकार और कांग्रेस ने यह बता दिया है कि उसने अपना जनाधार खो दिया है ।
कांग्रेस को पूरी तरह हार का डर था इसलिए प्रत्यक्ष मतदान प्रणाली के तहत चुनाव नही कराया और पिछले दरवाजे के रणनीति के तहत मनोयन किया गया . अगर प्रत्यक्ष मतदान प्रणाली के तहत चुनाव कराया जाता है तो किसानों का रुझान भाजपा के पक्ष 100 फीसदी रहता।
उपरोक्त्त बातें एक प्रेस को जारी बयान में दुर्ग जिला भाजपा अध्यक्ष जितेंद्र वर्मा ने कही।श्री वर्मा ने आगे कहा कि दुर्ग जिला सहकारी केंद्रीय बैंक में बालोद और बेमेतरा जिले को मिलाकर 311 सेवा सहकारी समितियां है। जिनमे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्वाचन क्षेत्र पाटन और कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे के निर्वाचन क्षेत्र साजा में प्राधिकृत अध्यक्षों की नियुक्ति की गई है बाकी समितियों में अभी तक नियुक्ति नही हुई है। यह भी एक संशय का विषय है।
वर्मा ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा है कि छत्तीसगढ के सेवा सहकारी समितियों में प्रदेश के कांग्रेस सरकार द्वारा प्राधिकृत अधिकारी के रूप मे अशासकीय व्यक्तियों की नियुक्ति इस बात को दर्शाता है कि प्रदेश के कांग्रेस सरकार किसानो का भरोसा खो चुकी है इसी कारण सोसाइटी में चुनाव कराने के बजाय प्राधिकृत अधिकारी की नियुक्ति कर रहे इससे साफ झलक रहा है कि कांग्रेस किसानों का विश्वास खो दिया है.
भारतीय जनता पार्टी ने लगातार तीन पंचवर्षीय सरकार चलाई इस दौरान हमेशा प्रत्यक्ष मतदान प्रणाली के तहत चुनाव कराते आ रही थी क्योंकि भाजपा को किसानों का पूरा समर्थन था , विधान सभा चुनाव 2018 मे कांग्रेस ने सरकार बनाने के लिए बड़े बड़े वादे किए और किसानो ने कांग्रेस पर भरोसा किया जिससे छत्तीसगढ मे कांग्रेस की सरकार बनी, सरकार बनते ही किसान विरोधी अभियान में लग गए जैसे प्रति एकड़ सिर्फ 15 क्विंटल धान खरीदी,खेतो का रकबा कम करना, खाद, बीज की कमी किसानो को समय पर किसान क्रेडिट कार्ड में पैसे न मिलना और विभिन्न प्रकार से प्रताड़ित किसानो को करने लगे जिसके कारण प्रदेश के किसान वर्तमान कांग्रेस सरकार से खासा नाराज़ हैं ये बात प्रदेश सरकार बहुत अच्छे से जानती है कि कांग्रेस प्रदेश में किसानो का भरोसा खो चुकी है जिसके कारण सहकारिता चुनाव कराने से डर रही है और समितियों में अशासकीय व्यक्तियों को प्राधिकृत अधिकारी के रूप में नियुक्ति कर रही है जो बिल्कुल ही किसान विरोधी अभियान है हम इस नियुक्ति का पुरजोर विरोध करते हैं और छत्तीसगढ की कांग्रेस सरकार से मांग करते हैं किसानो के हित को ध्यान में रखते हुए अविलम्ब समितियों में चुनाव कराए.
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार समितियों में चुनाव नही कराती है तो हम प्रदेश के किसानो के हित को ध्यान में रखते हुए धरना प्रदर्शन करने की रणनीति बनायेगे और किसानो के हित की लड़ाई लड़ेंगे और जरूरत पड़ी तो उग्र आंदोलन किया जाएगा क्योंकि अन्नदाताओं का अपमान किसी भी सूरत में बर्दास्त नहीं किया जाएगा।