छत्तीसगढ़दुर्गदुर्ग-भिलाई विशेषरायपुर

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पद्म विभूषण तीजन बाई के परिजनों से फोन पर की बात,जाना तबियत का हाल।

 

  • हरसंभव सहायता के लिए परिवारजनों को किया आश्वस्त

रायपुर – मुख्यमंत्री  भूपेश बघेल ने फोन पर सुप्रसिद्ध पंडवानी गायिका पद्म विभूषण श्रीमती तीजन बाई के स्वास्थ्य की जानकारी ली। उन्होंने परिवारजनों से फोन पर बात करके उन्हें आश्वस्त किया। मुख्यमंत्री ने तीजन बाई के परिवार से कहा कि हम हर तरह से आपके साथ हैं और स्वास्थ्य लाभ हेतु हरसंभव सहायता प्रदान की जाएगी ।

 

मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी –

 

तीजन बाई को जानिए – 

दुनिया की सबसे चर्चित कथाओं में से एक महाभारत की कथा कॉ पूरे वेग और संप्रेषणिता के जरिये मंच पर उतारने वाली सुप्रसिद्ध पण्डवानी गायिका तीजनबाई छत्तीसगढ़ की पहचान के रूप में पूरी दुनिया में पहचानी जाती हैं ।

डॉ॰ श्रीमती तीजनबाई का जन्म 8 अगस्त सन् 1956 में ग्राम-अटारी (पाटन) जिला-दुर्ग में हुआ था । इनकी माता श्रीमती सुखबती व पिता श्री छुनुक लाल पारधी ने इनका लालन-पालन ग्राम गनियारी में किया । छत्तीसगढ़ की लोककला को विशेषत: पण्डवानी को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति दिलाने का श्रेय तीजनबाई को जाता है । तीजन को पण्डवानी की ”कापालिक” शैली की गायिका माना जाता है । यह देश-विदेशों में ‘पण्डवानी’ का सफल प्रस्तुतीकरण कर चुकी हैं ।

2. उपलब्धियां

श्रीमती तीजनबाई को पण्डवानी गायन का शौक बचपन से ही था । तीजन ने पण्डवानी का औपचारिक प्रशिक्षण श्री उमैद सिंह देशमुख से पाया । जब वह अपने गुरु झाडूराम देवांगनजी को देखतीं, तो सोचा करती थीं कि वह भी ऐसी ही पण्डवानी गायिका बनेंगी । तीजन के घर में इसका काफी विरोध भी हुआ । घरवालों का विरोध सहकर भी तीजन ने पण्डवानी गायन को अपना क्षेत्र चुना ।

अपना पहला कार्यक्रम 13 वर्ष की अवस्था में ग्राम-चन्दखुरी (दुर्ग) में दिया । तत्पश्चात् इन्हें आदिवासी लोककला परिषद भोपाल के द्वारा भारत भवन, भोपाल में कार्यक्रम देने का अवसर मिला । इन्होंने पहली विदेश यात्रा सन् 1985-86 में पेरिस के भारत महोत्सव के दौरान की । तीजन के 3 पुत्र व पुत्रवधुएं हैं । अपने दल के हारमोनियम वादक तुलसीराम देशमुख से इन्होंने विवाह किया ।

तीजन ने नृत्य, अभिनय और लोकतत्व के बहुरंगी मिश्रण से पण्डवानी को इतना प्रभावशाली और लोकप्रिय बनाया है कि आज पण्डवानी पूरे भारत में ही नहीं, अपितु समूचे विश्व में भी पहचानी जाती है । तीजन कापालिक शैली की गायिका हैं । इस शैली में गाने वाला खड़े होकर कभी घुटनों का सहारा लेकर गाता है ।

इसमें अंग संचालन स्वरों के तीव्र आरोह-अवरोह के साथ संगीत का प्रयोग होता है । तम्बूरे का बजाया जाना पण्डवानी का विभिन्न अंग है । कथा को लयात्मकता देने के लिए एक साथी, जो हुंकारे देता रहता है, वह रागी कहलाता है । बीच-बीच में रोचक प्रश्नों के माध्यम से रागी व्याख्या की समकालीन पृष्ठभूमि तैयार करता है ।

पण्डवानी का मूलाधार ”महाभारत” की कथा है । यह महाभारत की शाश्वत कथा का छत्तीसगढ़ी संस्करण है । पण्डवानी लोक साहित्य की विशुद्ध वाचिक परम्परा है । वादन एवं आंगिक अभिव्यक्ति की लोकतात्विक विधा है ।

यह मनोरंजन का साधन नहीं है; वरन् श्रद्धा, भक्ति, शौर्य एवं पराक्रम की मोहक अभिव्यक्ति है । यह स्वांग और संगीत का ऐसा संगम है, जहां महाभारत के अमर पात्रों में, विशेषत: भीम की शौर्य गाथाएं हिलोरे लेती है । समस्त मानवीय आवेगों की सूक्ष्म अभिव्यक्ति के साथ महाभारत के पात्रों का अद्‌भुत लोक निरूपण हुआ है ।

छत्तीसगढ़ी बोली के माधुर्य के साथ पण्डवानी गायिका तीजन अभिनय व गायन के साथ यह बताती हैं कि किस तरह चीरहरण के समय द्रौपदी रोई होगी! चिल्लाई होगी! भीम गरजे होंगे । इसकी कथा भीम, अर्जुन, कृष्ण, द्रौपदी, नकुल, सहदेव, भीष्म पितामह, दुर्योधन, दुःशासन, गुरु द्रोणाचार्य के इर्द-गिर्द घूमती है । तीजन ने इसे भारत ही नहीं, अपितु फ्रांस, इंग्लैण्ड, जापान, जर्मनी में भी प्रस्तुत किया है ।

 

3. सम्मान 

तीजनबाई को भारत सरकार ने 1988 में ”पद्‌मश्री” सम्मान प्रदान किया । 3 अप्रैल, 2003 को भारत के राष्ट्रपति डॉ॰ श्री अब्दुल कलाम द्वारा पद्‌म भूषण, मध्यप्रदेश सरकार का देवी अहिल्याबाई सम्मान, संगीत नाटक अकादमी नयी दिल्ली से सम्मान, 1994 में श्रेष्ठ कला आचार्य, 1996 में संगीत नाट्‌य अकादमी सम्मान, 1998 में देवी अहिल्या सम्मान, 1999 में इसुरी सम्मान प्रदान किया गया ।

27 मई, 2003 को ‘डी॰लिट॰’ की उपाधि से छत्तीसगढ़ शासन द्वारा सम्मानित किया गया । इसके अलावा महिला नौ रत्न, कला शिरोमणि सम्मान, आदित्य बिरला कला शिखर सम्मान 22 नवम्बर, 2003 को बम्बई में प्रदान किया गया ।

अब तक भारत के बड़े शहरों के साथ फ्रांस, मारीशस, बांग्लादेश, स्विटजरलैण्ड, जर्मनी, तुर्की, माल्टा, साइप्रस, मेसिया, टर्की, रियुनियान आदि देशों में भ्रमण कर चुकी हैं । वर्तमान में यह भिलाई इस्पात सन्यन्त्र में सेवारत हैं ।

 

 

 

The Samachaar

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button