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मुख्यमंत्री बघेल ने शहीद महेंद्र कर्मा की जयंती पर उन्हें किया नमन, आप भी जानिए महेंद्र कर्मा का जीवन परिचय

रायपुर – मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज यहाँ अपने निवास कार्यालय में पूर्व मंत्री और लोकप्रिय नेता स्वर्गीय श्री महेंद्र कर्मा की जयंती पर उनके छायाचित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हे नमन किया । इस अवसर पर सांसद दीपक बैज एवं मुख्यमंत्री के सलाहकार श्री राजेश तिवारी भी उपस्थित थे ।

मुख्यमंत्री ने उन्हें याद करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ विधानसभा में विपक्ष के नेता और मंत्री के रूप में महेन्द्र कर्मा जी ने महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां संभाली और छत्तीसगढ़ के विकास में अपना अमूल्य योगदान दिया। वे सिर्फ एक राजनेता नहीं थे, बल्कि एक बेहद संवेदनशील, जागरूक और भावुक इंसान भी थे। कर्मा जी आदिवासियों के हक की हर लड़ाई में दमदारी से अपनी बात रखते थे, इसलिए वे बस्तर टाइगर के नाम से भी जाने जाते थे। उनके जैसे निःस्वार्थ व्यक्ति और अच्छे मित्र का साथ मिलना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। कर्मा जी ने जीवन के अंतिम क्षण तक आदिवासियों की बेहतरी के लिए संघर्ष किया। झीरम घाटी नक्सल हमले में उनकी शहादत छत्तीसगढ़ भुला नहीं पाएगा।

मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि श्री कर्मा की स्मृतियों को चिरस्थाई बनाने के लिए राज्य सरकार ने बस्तर विश्वविद्यालय का नामकरण उनके नाम पर किया और उनके नाम पर प्रदेश के तेंदूपत्ता संग्राहक परिवारों के लिए सामाजिक सुरक्षा योजना प्रारंभ की गई है। उन्होंने कहा कि कर्मा जी के विचार और जीवन मूल्य हमें हमेशा प्रेरित करते रहेंगे।

जानिए महेंद्र कर्मा को 
महेंद्र कर्मा छत्तीसगढ़ कांग्रेस के नेता थे। वह 2004 से 2008 तक छत्तीसगढ़ विधानसभा में विपक्ष के नेता थे। 2005 में, उन्होंने छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ सलवा जुडूम आंदोलन के आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी । वह राज्य गठन के बाद से अजीत जोगी सरकार कैबिनेट में उद्योग और वाणिज्य मंत्री थे।सुकमा में कांग्रेस द्वारा आयोजित परिव्रतन रैली से लौटते समय नक्सलियों ने 25 मई 2013 को नक्सली हमले में उनकी हत्या कर दी गई थी।
जीवन परिचय
कर्मा बस्तर क्षेत्र के एक जातीय आदिवासी नेता थे। उनका जन्म 5 अगस्त 1950 को दंतेवाड़ा जिले के दरबोडा कर्मा में हुआ था। उन्होंने 1969 में बस्तर हायर सेकेंडरी स्कूल, जगदलपुर से उच्च माध्यमिक की शिक्षा प्राप्त की और 1975 में दंतेश्वरी कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई पूरी की।
उनके बड़े भाई लक्ष्मण कर्मा भी सांसद रहे हैं। इससे पहले, नक्सलियों ने उनके भाई पोदियाराम की हत्या कर दी थी जो भैरमगढ़ जनपद पंचायत के अध्यक्ष थे। इसके अलावा उनके 20 रिश्तेदारों को भी नक्सलियों ने मार डाला था। उनके पुत्र चविन्द्र कर्मा भी दंतेवाड़ा के जिला पंचायत अध्यक्ष थे और माओवादी की हिट लिस्ट में हैं।
राजनितिक सफर
कर्मा ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) से की थी । उन्होंने सीपीआई के टिकट पर 1980 में हुए आम चुनाव में जीत हांसिल की थी। बाद में वो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए।अविभाजित बस्तर के जिला पंचायत के वो पहले अध्यक्ष के रूप में चुने गए ।
1996 के आम चुनावों में बस्तर लोकसभा क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीतकर सांसद बने थे। बाद में वे कांग्रेस में शामिल हो गए। छत्तीसगढ़ के अजीत जोगी मंत्रिमंडल में उन्होंने उद्योग और वाणिज्य मंत्री के रूप में कार्य किया, हालांकि उन्हें जोगी के राजनीतिक विरोधी के रूप में जाना जाता था।
2003 में, उनकी पार्टी इंडियन नेशनल कांग्रेस को विधान सभा चुनावों में हार का सामना करना पड़ा और उन्हें विपक्ष का नेता बनाया गया।माओवादियों के खिलाफ सख्त रवैया अपनाने के कारण उन्हें उनके क्षेत्र में “बस्तर टाइगर” के रूप में जाना जाता था।
नक्सल विरोधी आंदोलन
कर्मा को छत्तीसगढ़ में नक्सल विरोधी आंदोलनों के सबसे मुखर समर्थक के तौर पर जाना जाता था। 1991 में उन्होंने व्यापरियों के साथ मिलकर जन जागरण अभियान शुरू किया था लेकिन कुछ समय बाद यह आंदोलन बंद हो गया लेकिन विपक्षी पार्टी के होने के बावजूद उनके द्वारा किये गए प्रयासों की मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कभी आलोचना नहीं की। माओवादियों के खिलाफ अभियान के कारण वह हमेशा से उनके निशाने पर रहे । इसी खतरे को देखते हुए उन्हें जेड प्लस श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की गयी थी।
झीरम घाटी कांड25 मई 2013 को राजनितिक रैली से लौटते समय दरमा में माओवादी हमले में कर्मा और नंद कुमार पटेल सहित पार्टी के कई अन्य नेताओं के साथ मारे गए। 27 मई को, नक्सलियों ने एक बयान जारी किया और हमले की जिम्मेदारी लेते हुए कहा की “सलवा जुडूम और अर्धसैनिक बालों को तैनात किये जाने के विरोध में उन्होंने इस घटना को अंजाम दिया है।

आपको बता दें की महेंद्र कर्मा सलवा जुडूम के संथापक थे और उन्ही के कार्यकाल में बस्तर क्षेत्र में अर्धसैनिक बलों को तैनात किया गया था। 

डरा देने वाला था पोस्टमार्टम रिपोर्टछत्तीसगढ़ में हुए नक्सली हमले के बाद महेंद्र कर्मा का पोस्टमार्टम रिपोर्ट डरा देने वाला था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार पता चला है कि उनके शरीऱ पर नक्सलियों ने 78 वार किए थे और उनके शरीर से 65 गोलियां मिली थी। इतना ही नहीं कर्मा की हत्या के बाद नक्सलियो ने उनके शव पर डांस किया था।

 

Navin Dilliwar

Editor, thesamachaar.in

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