गणेश पंडालों में उमड़ी लोगों की भीड़… 2 साल कोरोना के बाद रोशन हुए पंडाल, परिवार संग लोग कर रहे हैं बप्पा के दर्शन….
बीते 2 साल से करोना की वजह से फीके पड़े गणेश उत्सव के बाद इस साल लोगो में गणेश उत्सव को लेकर खासा उत्साह है. गणपति बप्पा मोरिया का उद्धोष और शंख झालरों की ध्वनि से शाम होते ही नगर के पंडाल गूंज उठते हैं। भगवान गणेश की मूर्तियों के दर्शनों के लिए लोगो की कतारें लगी हैं। गणेशोत्सव में शहर के पंडाल रोशनी से जगमगा उठे।
भजन और कीर्तन की गूंज से नगर का माहौल भक्तिमय हो गया। गणपति बप्पा मोरिया, मंगलमूर्ति मोरिया के जयकारों के साथ पंडालों में भगवान गणेश की आरती उतारी गई। जगह-जगह भजनों की गूंज पर भक्त झूमते -थिरकते नजर आए । इस दौरान झांकी दर्शन के लिए देर शाम तक भीड़ लगी रही। इस दौरान पुलिस प्रशासन द्वारा पंडालों की सुरक्षा और शांति व्यवस्था के लिए सभी जरूरी इंतजाम किए गए हैं।
हर साल की तरह इस साल भी पंडालों में भगवान गणेश की मनमोहक मूर्तियां देखने को मिली. भगवान गणेश कहीं अपने मूसक के साथ विराजमान हैं, तो कहीं अपनी पत्नी रिद्धी और सिद्धी के साथ विराजे हुए हैं। इसके साथ ही दुर्ग के चांदनी चौक पर लालबाग के राजा का दरवार सजया गया है, तो कहीं भगवान गणेश को राधा और कृष्ण के साथ विराजमान किया गया है।
31 अगस्त से गणेश चतुर्थी मनाई जा रही है। गणेश चतुर्थी के दिन बप्पा की मूर्ति लोग घर और पंडालों में स्थापित करते हैं। इसके बाद 10 दिनों तक भगवान श्री गणेश की खास पूजा अर्चना की जाती है। अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति जी की प्रतिमा का विसर्जन होता है। गणेश जी सभी देवों के इष्ट माने जाते हैं। कहा जाता है कि किसी भी भगवान या देवी पूजा से पहले गणेश जी का आह्वान होता है।
इसके बाद ही पूजा पूरी मानी जाती है। रिद्धि सिद्धि के दाता भगवान गणेश जी इस 10 दिनों के उत्सव को मनाने के लिए भक्त साल भर इंतजार करते हैं। इस मौके पर लोग अपने घरों में गणपति प्रतिमा स्थापित नहीं कर पाते तो आस पड़ोस में लगने वाले पंडालों और गणेश जी के मंदिरों में दर्शन के लिए जाते हैं। भगवान गणेश के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में मुंबई स्थित सिद्धिविनायक मंदिर का नाम शामिल है।