क्या धारावी की झुग्गी बस्तियों में रहने वालों की ज़िंदगी बदलने ववाली है, जानिए पूरी जानकारी विस्तार से।
- धारावी को एशिया की ‘सबसे बड़ी झुग्गी’ के रूप में जाना जाता है
- धारावी के री-डेवलपमेंट के लिए एक बड़ी योजना पर काम शुरू करने की तैयारी
- धारावी री-डेवलपमेंट परियोजना में 80 फीसदी निजी और 20 फीसदी सरकारी भागीदारी होगी
- धारावी मुंबई के मध्य में करीब 600 एकड़ में फैला हुआ है
- धारावी में 80 प्रतिशत लोग सार्वजनिक शौचालयों का उपयोग करते हैं
- अडानी समूह ने 5,690 करोड़ रुपये की बोली लगाकर धारावी री-डेवलपमेंट प्लान परियोजना हासिल की है
देश की आर्थिक राजधानी मुंबई के केंद्र में स्थित धारावी को एशिया की ‘सबसे बड़ी झुग्गी’ के रूप में भी जाना जाता है. यहां एक-एक कमरे में परिवारों की दुनिया बसी है.
एक दीवार से दूसरे दीवार की दूरी ज़्यादा नहीं होती और ऐसे ही चार दीवारों से घिर कर लोगों का घर है. जिसे बाहर की दुनिया झोपड़ी कहती है और ऐसी ही हज़ारों झोपड़ियों से बना है धारावी
‘धारावी री-डेवलपमेंट का रास्ता चुनौतियों से भरा‘
अडानी समूह ने 5,690 करोड़ रुपये की बोली लगाकर इस परियोजना को हासिल किया है. इसलिए कहा जा सकता है कि धारावी री-डेवलपमेंट का रास्ता अब साफ़ हो गया है. लेकिन यह केवल शुरुआत है.
धारावी री-डेवलपमेंट परियोजना क्या है?
दरअसल झुग्गी-झोपड़ियों वाले इलाके के तौर पर मशहूर धारावी मुंबई के मध्य में क़रीब 600 एकड़ में फैला हुआ है. धारावी में 60 हज़ार से ज़्यादा झोपड़ियों में 10 लाख से ज़्यादा लोग रहते हैं. इसके अलावा धारावी में 13 हज़ार से ज़्यादा लघु उद्योग भी चलते हैं.
धारावी में चमड़े का बड़ा बाज़ार है. हाथ से मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हार भी धारावी में बसे हैं. यहां कुम्हारों के क़रीब ढाई हज़ार घर हैं.
कपड़ा तैयार करने और सिलाई-कढ़ाई का काम भी यहां बड़े पैमाने पर होता है. धारावी में लाखों हाथ दिन-रात काम कर रहे हैं. इसमें ज़री के काम से लेकर सजावटी सामान तैयार करने, प्लास्टिक का सामान बनाने से लेकर कबाड़ का कारोबार जैसे सैकड़ों छोटे-बड़े काम-धंधे शामिल हैं.
धारावी मुंबई उपनगरीय रेलवे के मध्य, हार्बर और पश्चिमी लाइनों से जुड़ा हुआ है. यहां से पश्चिम में माहिम रेलवे स्टेशन, पूर्व में सायन क्षेत्र और उत्तर में मीठी नदी है.
धारावी के री-डेवलपमेंट की परियोजना अब शुरू हो रही है. अडानी समूह की ओर से री-डेवलपमेंट की बोली जीतने के बाद परियोजना की अगली प्रक्रिया राज्य सरकार के इज़ाजत के बाद शुरू होगी.
री-डेवलपमेंट योजना कैसे लागू होगी?
धारावी री-डेवलपमेंट परियोजना के लिए काम शुरू होने से पहले की सरकारी प्रक्रियाओं को अधिकारियों और झुग्गीवासियों की ओर से पूरा करना होगा.
स्लम रिहैबिलिटेशन अथॉरिटी (एसआरए) के मुताबिक़, मुंबई की क़रीब 48.3 फ़ीसदी आबादी स्लम में रहती है. एसआरए मुंबई में किसी भी स्लम क्षेत्र के विकास और पुनर्वास के लिए ज़िम्मेदार है. धारावी की री-डेवलपमेंट परियोजना भी एसआरए के नियमों और प्रक्रियाओं के अनुसार लागू की जाएगी.
धारावी री-डेवलपमेंट परियोजना अब एसआरए के तहत काम कर रही है. आगे की प्रक्रिया के लिए दोनों प्राधिकरण और अडानी समूह मिलकर काम करेंगे. यानी इन तीनों के सहयोग से धारावी में निर्माण परियोजना के कार्यान्वयन, बुनियादी ढांचे के विस्तार और लोगों के पुनर्वास का काम होगा.
सरकार के सामने क्या हैं चुनौतियां
धारावी परियोजना में झुग्गियों का री-डेवलपमेंट एकमात्र प्रमुख मुद्दा नहीं है. सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती छोटे उद्योगों, असंगठित, संगठित श्रमिकों और विभिन्न जातियों और धर्मों के समुदायों के सहयोग से इस परियोजना को लागू कराना है.
परियोजना के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्रीनिवास कहते हैं, “धारावी में कोई एक चुनौती नहीं है. धारावी की आबादी, घनी आबादी वाले इलाके, एयरपोर्ट के नियमों के मुताबिक बिल्डिंग की ऊंचाई पर प्रतिबंध जैसी कई चुनौतियां हैं. लेकिन सबसे बड़ी चुनौती बहुसांस्कृतिक समूहों की है. विभिन्न समुदायों की भागीदारी महत्वपूर्ण है और यही बड़ी चुनौती है.”
देश भर के अलग-अलग राज्यों से आए विभिन्न धर्मों और जातियों के लोग धारावी की तंग गलियों में एक साथ रहते हैं.