कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार तो बन गई है, लेकिन मुख्यमंत्री कौन होगा इसे लेकर बवाल मचा हुआ है। सिद्धा रमैया और डीके शिवकुमार दोनों ही दावेदार सामने आए हैं। इस बीच तीन और दो साल के लिए दोनों को सीएम बनाने विचार शुरू हो गया। इस पर स्थानीय नेताओं ने कहा कि छत्तीसगढ़ में भी इसी तरह का आश्वाशन देकर एक धड़े को नाराज किया गया। अब वही काम यहां करने की तैयारी है। राजस्थान और एमपी में भी कुछ ऐसा ही हुआ। इसके चलते एमपी में कुर्सी से हाथ धोना पड़ा। इन सब के बीच ईडी का शिकंजा भी छत्तीसगढ़ में कसता जा रहा है। मामले में कभी भी मुख्यमंत्री को आरोपी बनाया जा सकता है। उनके समर्थकों और आसपास के अधिकारियों को पहले ही घेरे में लिया जा चुका है। इन सब के बीच किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने एक दिन पहले कांग्रेस की प्रदेश प्रभारी कुमारी शैलजा अचानक रायपुर पहुंची। उन्होंने कांग्रेस नेताओं के साथ बैठक की। बैठक में जो बातें निकलकर आईं हैं, उसके मुताबिक कांग्रेस ने ईडी से निपटने प्लान भी तैयार किया है। इसमें ईडी के सीएम को घेरने की स्थिति से निपटने रणनीति तैयार की गई है। सारे विकल्पों पर विचार किया गया है। राजनीतिक उथल पुथल और ईडी के हर वार का आकलन किया गया है।
चुनाव से पहले नई पार्टी के उदय के संकेत, कांग्रेस को होगा नुकसान, सत्ता जाने का भी खतरा
इधर कांग्रेस में बगावती सुर तेज हो गए हैं। मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर ही ज्यादा गतिरोध है। पूर्व में ढाई ढाई साल के मुख्यमंत्री की बात कही गई थी। इसमें ढाई साल भूपेश बघेल और ढाई साल टीएस सिंहदेव को मुख्यमंत्री बनाए जाने की बात सामने आई। पर ऐसा नहीं हुआ। साढ़े 4 साल से भूपेश ही मुख्यमंत्री हैं। अब उन्हें हटाया जाता है तो नई पार्टी के उदय का खतरा है और टी एस सिहदेव को मौका नहीं दिया गया तो भी नई पार्टी का उदय हो सकता है। इन सब के बीच बीजेपी गिद्ध की नजर जमाए हुए है। उसे पता है अगले विधानसभा चुनाव में अपने दम पर सरकार बनाना मुश्किल है। पूरी ताकत लगाने के बाद भी बीजेपी 30 सीट तक ही पहुंच पा रही है। ऐसे में अन्य पार्टी के उदय और 15 से 20 सीट की मदद से वह सरकार तक पहुंचने की जुगत में है। इसके लिए कांग्रेस के कई बड़े नेता बीजेपी के संपर्क में हैं।
मंत्रियों ने पहले ही मुख्यमंत्री की शिकायत की
कुमारी शैलजा का यह प्रवास इसलिए भी सनसनीखेज बन गया है, कि पिछले हफ्ते ही उनका रायपुर आगमन हुआ था और उन्होंने सीएम हाउस में मंत्रिमंडल की बैठक ली थी, जिसमें मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ कतिपय मंत्रियों ने कथित रूप से बगावती तेवर दिखाया था। आरोप लगाया गया था कि मुख्यमंत्री प्रदेश में एक तरफा शासन चला रहे हैं और मंत्रिमंडल के किसी भी सदस्य की, प्रदेश का प्रशासनिक अमला कोई सुनवाई नहीं कर रहा है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सामने ही लगाए गए इस तरह के कथित आरोपों के चलते कांग्रेस हाईकमान भी चिंता ग्रस्त बताया जा रहा है। इस साल के आखिरी में प्रदेश में विधानसभा चुनाव होना है और माना जा रहा है कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का आक्रोश चुनाव में नुकसान पहुंचा सकता है। चर्चा है कि इसी वजह से प्रदेश में मुख्यमंत्री बदलने की सुगबुगाहट शुरू हुई है।
राजनीतिक हलकों में चर्चा
राष्ट्रीय कांग्रेस की छत्तीसगढ़ प्रभारी कुमारी शैलजा के राजधानी प्रवास के बाद कांग्रेस सहित राजनीतिक हल्के में तरह-तरह की चर्चा शुरू हो गई है। प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी की संभावित कार्रवाई के जेरे- साए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को हटाने की चर्चा सरगर्म है। प्रदेश के नए मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मोहन मरकाम अथवा स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव को दिए जाने का कयास लगाया जा रहा है। अगले दो-तीन दिनों में कोई नतीजा आने की उम्मीद जताई जा रही है।
बता दें कि कांग्रेस की छत्तीसगढ़ प्रभारी कुमारी शैलजा बिना प्रोटोकॉल के मंगलवार को एकाएक रायपुर पहुंची। कुमारी शैलजा सीएम हाउस पहुंची, जहां उन्होंने प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं की बैठक ली। कुमारी शैलजा का इस तरह एकाएक रायपुर आना और सीएम हाउस में बैठक लेना राजनीतिक और प्रशासनिक हलके में सनसनी पैदा करने वाला साबित हुआ है। बैठक के बाद कुमारी शैलजा वापस दिल्ली लौट गई हैं। लेकिन अपने पीछे उन्होंने तरह तरह की चर्चाओं को हवा दे दिया है।