
गुजरात में भाजपा लगातार 25 वर्षों से सत्ता पर काबिज है। हिमाचल प्रदेश की जनता सत्ता में हमेशा पांच वर्षों में बदलाव करती रही है।इस चुनाव में भाजपा को फिर एक बार हराकर कांग्रेस ने सत्ता हासिल कर ली है। वहीं दिल्ली के नगर निगम पर भी कब्जा जमाये हुए भाजपा को हराकर आम आदमी पार्टी ने नगर निगम पर भी कब्जा जमा लिया है।वहीं भाजपा गुजरात में भारी बहुमत से जीत हासिल की है,जोकि कार्यकर्ताओं के आत्मविश्वास को अवश्य सुदृढ़ करेगा।
यदि देखें तो आम आदमी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त नही है।यह माना जाता है कि जो भी राजनीतिक दल चार राज्यों में मुख्यमंत्री बनाने में सफल होते हैं,वह दल रष्ट्रीय पार्टी के श्रेणी में शामिल कहा जाता है।
छत्तीसगढ़ में आगामी विधानसभा चुनाव भी त्रिकोणीय होने की संभावना राजनितिक गलियारों से जतायी जा रही है।प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस ने ही हमेशा सत्ता का सुख भोगा है।अब दोनों संगठनों के विशेषज्ञों को नई राजनीतिक समीकरण के तहत रणनिति बनानी होगी।
2023 के अंत में छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव होनी है। कांग्रेस ने बड़े जद्दोजहद के बाद 15 वर्षों के बाद भारी बहुमत के साथ सत्ता पर काबिज हुई है।भूपेश सरकार के चार वर्ष पूरे हो चुके हैं।यह स्वाभाविक है कि सत्ता में बैठे विधायको में नाराजगी भी पनपने लगती है।और अंतिम दौर में टिकट कटते देख पार्टी बदलने भी देर नहीं करेंगे।ऐसी स्थिति में भाजपा और कांग्रेस में निश्चित तौर पर पदेन विधायको के कार्यकलाप के आधार पर उनके टिकट निर्भर करेगा।यदि टिकट कटती है तो उनका आम आदमी पार्टी में शामिल होकर चुनाव लड़ना माना जा सकता है।
गुजरात चुनाव में तो आप को मामूली सीट ही मिल पाया है,लेकिन केजरीवाल और उनके पार्टी कार्यकर्ताओं के हौसले बुलंद हैं।कहने को तो छत्तीसगढ़ में भाजपा विपक्ष में है लेकिन उनकी आक्रमकता में तेजी नहीं आयी है।वे बड़े बड़े मुद्दों पर मुखर होकर कह पाने में सफल होते नजर नहीं आते है। राजनितिक हल्कों में यह भी कहा जाने लगा है कि आगामी चुनाव में भाजपा भी नये प्रत्याशियों पर दांव लगा सकती है। यदि ऐसी स्थिति निर्मित हुई तो पलायन होना संभव है,जिसका लाभ भी आम आदमी पार्टी को मिलते नजर आ रहा है।