छत्तीसगढ़दुर्ग-भिलाई विशेष

दुर्ग गरीबों की शिक्षा व स्वास्थ्य दोनो राष्ट्रीय दलों ने माफियाओं को बेच दिया: लंगुर सोनी

  • आज आजादी के 74 साल बाद भी गरीब परिवार के बच्चों को अच्छी शिक्षा व बेहतर स्वास्थ्य के लिए मोहताज होना पड़ रहा है। वजह  शिक्षा व स्वास्थ व्यवस्था पर पूंजीपति माफिया काबिज हो गए हैं। ऐसा आरोप दुर्ग लोकसभा के निर्दलीय प्रत्याशी ने लगया है

दुर्ग। लोकसभा क्षेत्र दुर्ग के जुझारू एवं समाजसेवी निर्दलीय प्रत्याशी ध्रुव कुमार सोनी (लंगुर सोनी) ने भी अपने वादों के साथ जनता के बीच एक अहम मुद्दो को ले कर पहुंच रहे है। उनका प्रमुख मुद्दा है। शिक्षा व स्वास्थ जो गरीबी व अमीरी के बीच बट चुकी है और आजादी के 74 साल बाद भी गरीब परिवार अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा के लिए मोहताज है। गरीब परिवार महंगी इलाज की वजह से मौत को गले लगा रहा है तो देश सहित दुर्ग की इस हालात के लिए दोनो राष्ट्रीय दल भाजपा व कांग्रेस बराबर के जिम्मेदार है। उन्होंने शिक्षा व स्वास्थ व्यवस्था पर कुछ सवालों का इस तरह बेवाक जवाब दिया।

सवाल: आपका दुर्ग से लोक सभा चुनाव लडऩे का उद्देश्य क्या है-?
जवाब:- इस लोकतंत्र में हर व्यक्ति का मौलिक अधिकार है कि वह कोई भी चुनाव लड़ सकता है। मेरा दुर्ग लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लडऩे का उद्देश्य समाज के उन 80 प्रतिशत गरीबों ,आम आदमी की जीवन से जुड़ी अहम मुद्दे शिक्षा व स्वास्थ की समस्या-असमानता को ले कर दोनो राष्ट्रीय दलों के प्रत्याशियों के मुकाबला के साथ-साथ जनता में देश व समाज की दिशा व दशा बदलने को ले कर चुनाव लड़ रहा हूं।

सवाल: भाजपा व कांग्रेस प्रत्याशी धन-बल वाले प्रत्याशी है इनसे आप मुकाबला कैसे कर रहे है…?
जवाब: मै  एक गरीब परिवार से हूं। गरीबों  की तंग बस्ती में जन्म लिया उनके बीच उनकी सेवा करते-करते बड़ा हुआ दुर्ग लोकसभा क्षेत्र के गरीबो के बीच अपने स्तर पर हर संभव सेवा किया यह मानता हूं कि मेरे पास दोनो राष्ट्रीय दलो के प्रत्याशियों के बराबर धन व प्रभाव (बल) नही है। किन्तु मेरा धन मेरी स्वयं की सेवाभाव तथा मेरी बल (ताकत) दुर्ग लोकसभा क्षेत्र की गरीब जनता है। मै अपनी इस धन बल से दोनो प्रत्याशियों को कड़ी टक्कर दे रहा हूं। निर्णय जनता के हाथ में है।

सवला:- आपकी मुख्य मुद्दे है शिक्षा व लचर स्वास्थ व्यवस्था क्यो..? 
जवाब:- देश पर 74 सालों से राज करने वाले दोनों राष्ट्रीय दलो ने हमारी शिक्षा व स्वास्थ्य नीति एैसा बनाया जो गरीबों के लिए आम आदमी के लिए उपेक्षा व पूजीपतियों के लिए मुनाफाखोरी का व्यापार बन कर रह गया इसी का परिणाम है कि आज भी गरीब परिवार के बच्चे अच्छे स्कूलों में पढऩे से वंचित हो रहे है। वही गरीब परिवार गंभीर बिमारियों के इलाज में अपना घर, जमीन, बर्तन, जेवर बेचने पर मजबूर होता है। हमारी आज की शिक्षा व स्वास्थ्य नीति गरीब को और गरीब बना रहा है।

सवाल:- शिक्षा की क्षेत्र में स्कूलों की भरमार है। अच्छे-अच्छे निजी स्कूल है फिर आप शिक्षा नीति को गरीब विरोधी क्यो बता रहे?
जवाब:- मै मानता हूं  कि सरकारी स्कूलों व निजी स्कूलों कालेजों की भरमार है। किंतु सरकारी स्कूल में योग्य शिक्षकों सम्पूर्ण संसाधनों की भारी कमी है।  वही निजी स्कूले निजी कालेजों की आलीशान भवन संसाधनों परिपूर्व तो है किन्तु आप बता दे कि क्या निजी स्कूलों-कालेजो की भारी भरमक फीस जमा करने में एक गरीब आम आदमी सक्षम है। निजी शिक्षा संस्थानों पर मुट्टी भर पूंजीपतियों का कब्जा है। तथा कथित नेताओं के पैसों लगे है। वहां पर गरीब बच्चे पैर तक नही रख सकते। इसका प्रमाण है कि दुर्ग-भिलाई  के कई निजी स्कूलों ने जिला प्रशासन व सरकार को लिख कर दे दिए हैं कि हम आरटीई के अंतर्गत अपने शिक्षा संस्था में गरीब बच्चों को दाखिला नही दे सकते, यानि मुनाफाखोरी की व्यवसाय करने वाले निजी स्कूल संचालकों ने साफ-साफ गरीब-आम आदमी के बच्चों को शिक्षा देने से मना कर दिए हैं। यह जानते हुए भी हमारी दोनो राष्ट्रीय दल चुप्पी साध लिया है। इस लोकसभा चुनाव से दोनो राष्ट्रीय दलों ने मुद्दो को गायब कर दिया है। इस लिए हम गरीबों  के मुद्दो को ले कर इस चुनाव मैदान में मुकाबला कर रहे हैं।

सवाल:- सरकार ने गरीबों  के लिए आयुष्मान मेडिकल कार्ड फ्री इलाज के लिए दिया है। अब गरीबों को स्वास्थ  इलाज के लिए चिंता नही करना है। इस पर आपकी क्या राय है.?
जवाब:- सरकार का गरीबों-आम आदमी के लिए आयुष्मान मेडिकल कार्ड फ्री इलाज के लिए थमा दिया गया है। किन्तु वास्तविकता तो यह है कि गिनती के कुछ निजी अस्पताल आयुष्मान मेडिकल कार्ड से ईलाज करते है। वह भी स्वास्थ माफियाओं द्वारा संचालित निजी अस्पताल में यदि किसी गरीब को गंभीर बिमारी से पीडि़त को भर्ती भी किया जाता है तो अस्पताल प्रबंधन आईसीयू में मरीज को डाल कर महज पांच दिनों में  ही सरकारी आयुष्मान कार्ड की राशि खर्च कर देता है। फिर बाकी मरीज के ईलाज के लिए उस गरीब परिवार को अपना घर-जमीन बर्तन जेवर तक बेचना पड़ता है। गरीब परिवार स्वास्थ इलाज कराते-कराते सड़क पर आ जाता है। वैसे भी अभी हाल ही में निजी अस्पतालों ने आयुष्मान कार्ड से इलाज करने से मना कर दिया है क्योकि राज्य सरकार ने निजी अस्पतालों की आयुष्मान कार्ड की राशि का भुगतान नही किया है। इसीलिए हम दोनो राष्ट्रीय दलो की सरकारों की शिक्षा व स्वास्थ नीति को गरीब हितैशी नही बल्कि गरीब विरोधी मानते हैं।

सवाल:- ध्रुव कुमार सोनी जी आपसे अंतिम सवाल आप ही के मुद्दे शिक्षा व स्वास्थ से आपकी नजर से हमारी शिक्षा व स्वास्थ नीति कैसी होनी चाहिए..
जवाब:- हमारी शिक्षा व स्वास्थ्य नीतियॉ गरीबों  को सड़क पर ला रही तो आम आदमी गरीब होते जा रहा है। हमारी शिक्षा के बिना समाज विकसीत नही हो सकता और यदि समाज विकसीत नही होगा व्यक्ति विकसीत नही होगा, देश  विकसीत नही किया जा सकता। अब जरूरत है कि देश के हर व्यक्ति के लिए हमारी राष्ट्रीय नीति एैसी बने कि सारे शिक्षण संस्था व सभी स्वास्थ संस्था का सरकारीकरण हो जाए पूंजीपतियों को हाथों से शिक्षा व स्वास्थ को छीनना होगा। हर व्यक्ति  चाहे वह गरीब हो या अमीर उसे पूरी तरह से फ्री शिक्षा व स्वास्थ सुविधा मिलनी चाहिए, शिक्षा व स्वास्थ इलाज में गरीब अमीरी की दीवार को तोडऩा होगा तभी हमारा समाज गरीब शिक्षित व स्वास्थ होगा। इसके बाद देश अपने आप विकसित हो जायेगा।

Navin Dilliwar

Editor, thesamachaar.in

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