कैचमेंट एरिया से गंगरेल बांध में पानी की आवक बढ़ने 15 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया। नौ हजार क्यूसेक पानी रूद्री बराज से महानदी में बहाया गया और खरीफ फसल की सिंचाई के लिए महानदी मुख्य नहर में छह हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया। पानी छूटने के बाद महानदी में बाढ़ आ गई है। तटवर्ती गांवों को जिला प्रशासन ने अलर्ट कर दिया है।
धमतरी और कांकेर जिले के वनों और पहाड़ों में अच्छी वर्षा होने के कारण गंगरेल बांध में 12 सितंबर की रात कैचमेंट एरिया से पानी की आवक बढ़ गई। इसके बाद गंगरेल बांध से पानी छोड़ने की मात्रा बढ़ा दी गई। गंगरेल बांध का पानी रूद्री बराज लाकर यहां से महानदी और मुख्य नहर में बड़ी मात्रा में पानी छोड़ा गया।
13 सितंबर की सुबह 32.150 टीएमसी क्षमता के गंगरेल बांध में 32.219 टीएमसी पानी जल भराव था। 100.24 प्रतिशत पानी था। गंगरेल बांध में 13 हजार क्यूसेक पानी की आवक होने के कारण 15 हजार पानी रुद्री बराज से छोड़ा गया। रूद्री बराज से महानदी मुख्य नहर में छह हजार क्यूसेक पानी खेती-किसानी के लिए छूटा है। नौ हजार क्यूसेक पानी महानदी में बहाया जा रहा है। इससे नदी में बाढ़ आ गई है। पानी जा रहा है।
ज्ञात क्षमता 10.192 टीएमसी है। इस तक 48.545 टीएमसी पानी बहाया जलभराव क्षमता 5.839 टीएमसी है। मुरूमसिल्ली बांध में 5.743 टीमएमसी पानी है। 98.98 प्रतिशत जलभराव है। यहां से 800 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। दुधावा बांध में 9.986 टीएमसी पानी है। यहां 98 प्रतिशत जलभराव है। यहां से पांच हजार क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। सोंढूर बांध में 6.488 टीएमसी यानि 91.82 प्रतिशत पानी भरा हुआ है। इस बांध से एक हजार 45 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है।
{ चार साल बाद खुले गेट }
गंगरेल बांध के चार साल बाद खुले। वर्ष 2018 में भारी वर्षा के बाद गंगरेल बांध का गेट खोलकर महानदी में पानी बहाया गया था। इस वर्ष 17 जुलाई को पहली बार गंगरेल बांध के सभी14 गेट खोलकर एक लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया। इसके बाद से लगातार पानी की आवक बनी हुई है। तीन महीनों में पांच बार भारी वर्षा हो चुकी है। हर बार गंगरेल बांध से बड़ी मात्रा में पानी छोड़ा गया।